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Chandrapur News: चंद्रपुर के ताड़ोबा से एक और बाघिन सिमलीपाल टाइगर रिजर्व में शिफ्ट
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- ताड़ोबा में बाघों की संख्या अधिक
- टी-163-एस3 को पशु चिकित्सकों के साथ एक विशेष वाहन से भेजा
- टीएटीआर अधिकारियों द्वारा छह संभावित बाघों की पहचान की गई
Chandrapur News बाघों का घर कहे जानेवाले ताड़ोबा अंधारी बाघ प्रकल्प से एक और बाघिन को ओड़िशा के सिमलीपाल टाईगर रिजर्व में भेजा गया है। इसके पहले एक बाघिन को सफलतापूर्वक स्थानांतरण किया जा चुका है।
गौरतलब है कि, चंद्रपुर व ताड़ोबा में बाघों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि, यहां के बाघ दूसरे जगह स्थानांतरित करने का विचार शुरू हुआ। ऐसे में ओड़िशा के सिमलीपाल में बाघों की आबादी व आनुवांशिक विविधता को बढ़ाने ताड़ोबा के बाघ वहां स्थानांतरित करने की हलचल शुरू हुई। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार ने ताड़ोबा अंधारी टाइगर रिजर्व से सिमलीपाल टाइगर रिजर्व, ओड़िशा में दो मादा बाघों (2-3 वर्ष के बीच) को स्थानांतरित करने के लिए पत्र 26 सितंबर 2024 भेजा। अनुरोध के जवाब में महाराष्ट्र के मुख्य वन्यजीव वार्डन ने 18 अक्टूबर को दो बाघिनों को पकड़कर एसटीआर ओड़िशा में स्थानांतरित करने की अनुमति जारी की।
इस स्थानांतरण की तैयारी में टीएटीआर अधिकारियों द्वारा छह संभावित बाघों की पहचान की गई थी। टीएटीआर की फील्ड टीमों द्वारा 20 अक्टूबर 2024 को ट्रैकिंग ऑपरेशन शुरू किया गया। 13 नवंबर को, टी-163 बाघिन की संतान टी-163-एस1 को टीएटीआर के कोर डिवीजन, करवा रेंज के कंपार्टमेंट नंबर 300 के ज़िनकानाट बीट में सफलतापूर्वक पकड़ा गया। रिहाई के बाद निगरानी की सुविधा के लिए उसे तुरंत रेडियो कॉलर लगाया गया है। टी-163-एस3 को पशु चिकित्सकों के साथ एक विशेष वाहन में सड़क मार्ग से सिमलीपाल ले जाया जा रहा है।
बता दें कि, एक बाघिन टी-158 एस-3 को पहले ही स्थानांतरित किया जा चुका है और वह सिमलीपाल टाइगर रिजर्व, ओड़िशा में बस गई है। यह महाराष्ट्र राज्य से भारत के किसी भी राज्य में बाघों का पहला अंतर-राज्यीय स्थानांतरण है। यह पूरा ऑपरेशन महाराष्ट्र के मुख्य वन्यजीव वार्डन विवेक खांडेकर, ओड़िशा के मुख्य वन्यजीव वार्डन सुसांत नंदा,
सिमलीपाल टाइगर रिजर्व के फिल्ड डायरेक्टर प्रकाश गोगिनेनी, टीएटीआर के फिल्ड डायरेक्टर जितेंद्र रामगांवकर, टीएटीआर के उप निदेशक आनंद रेड्डी, पीयूषा जगताप, सचिन शिंदे, डीएफओ टीएटीआर के मार्गदर्शन में किया गया। महाराष्ट्र और ओड़िशा के फ्रंटलाइन स्टाफ, आरआरटी, जीवविज्ञानी और वन्यजीव पशु चिकित्सकों द्वारा अंजाम दिया गया।
Created On :   14 Nov 2024 5:14 PM IST