भोपाल: रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कृषि संकाय द्वारा पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम संपन्न

रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कृषि संकाय द्वारा पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम संपन्न

डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कृषि संकाय द्वारा पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें पौध संरक्षण में टिकाऊ तकनीकों का अनुप्रयोग विषय पर प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो अमिताभ सक्सेना, निदेशक, आई.टी.डी.पी.आर. (ए.जी.यू. भोपाल), डॉ. संजीव गुप्ता, डीन इंजीनियरिंग विभाग, डॉ. पूजा चतुर्वेदी, डिप्टी रजिस्ट्रार एकेडमिक व आई.टी.डी.पी.आर. समन्वयक एवं कार्यक्रम समन्वयक व कृषि विभाग के डीन डॉ. हर दयाल वर्मा,डॉ. अशोक कुमार वर्मा, एसोसिएट डीन एवं डॉ. ऋषिकेश मंडलोई सहायक प्राध्यापक विशेष रूप से उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र का व्याख्यान डॉ. आर. के. पांसे,वैज्ञानिक जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर द्वारा कीट में पारिस्थितिक इंजीनियरिंग की भूमिका प्रबंध पर अपने विचार एवं अनुभव सभी प्रशिक्षणार्थियों के सामने रखे। इसके उपरांत डॉ. सुशील कुमार, प्रधान वैज्ञानिक, आईसीएआर, खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर के द्वारा समस्याग्रस्त खरपतवार का प्रबंधन जैविक मित्र कीट के माध्यम से खरपतवार प्रबंधन विषय पर अपना व्याख्यान दिया। डॉ. राजेश वर्मा, सेवानिवृत्त प्रोफेसर राजमाता विजयाराजे वैज्ञानिक कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) ने लाभकारी कीट (मधु मक्खी) के सन्दर्भ में जानकारी दी।

डॉ. विभा पांडे, प्रधान वैज्ञानिक, पौध रोग विभाग, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर ने पौधों के द्वारा स्वयं उपयोग टिकाऊ रोगज़नक़ के संक्रमण विरुद्ध प्रबंधन प्रणाली के विषय पर अपना वक्तव्य दिए। अगले सत्र में डॉ. संजीव कुमार, वैज्ञानिक, पादप रोग विज्ञानं (आईसीएआर) भारतीय सोयाबीन संस्थान, इंदौर के द्वारा पौधे के लिए नैदानिक उपकरण रोगज़नक़ का पता लगाना के विषय पर बात की। डॉ. गोविंद पी. राव, एमेरिटस वैज्ञानिक (फसल सुरक्षा), पादप रोगविज्ञान प्रभाग, आई. सी.ए.आर. (ICAR), नई दिल्ली के द्वारा फाइटोप्लाज्मा: एक उभरता हुआ पौधा रोगज़नक़ और उनका प्रबंधन विषय पर होने वाले रोगों के बारे में चर्चा हुई और उन्होंने बताया कि फाइटोप्लाज्मा से होने वाले रोगों को पहचान पाना अभी भी बड़ा मुस्किल है और प्रशिक्षण के अन्तिम सत्र में डॉ. कौशलेश कुमार मिश्र, प्रधान वैज्ञानिक, कृषि महाविद्यालय, पोवारखेड़ा, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर मध्य प्रदेश में गेहूँ की स्थिति एवं रोग प्रबंधन विषय पर गहनता से बात हुई और मध्य प्रदेश में लगने वाली विभिन्न गेहूं कि किस्मों के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की।

कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ. हर दयाल वर्मा द्वारा किया गया। उन्होंने पांच दिवसीय कार्यक्रम पर प्रकाश डाला।कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. ऋषिकेश मंडलोई (कीट शास्त्र) ने किया। कार्यक्रम में कुल 31 प्रतिभागियों ने भाग लिया और प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किये। कार्यक्रम के अंतिम दिन डॉ. अशोक कुमार वर्मा, एसोसिएट डीन ने सभी का आभार व्यक्त किया।

Created On :   2 July 2024 2:50 PM IST

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