भोपाल: रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा 'विरासत समिति' का उद्घाटन और एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन संपन्न

रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा विरासत समिति का उद्घाटन और एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन संपन्न
समिति का उद्देश्य इतिहास, संस्कृति, धरोहर को जानना, समझना उसके अनेक पहलुओं पर चिंतन करना और इतिहास को संरक्षित रखना है।

डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के संस्कृत प्राच्य भाषा एवं भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र, मानविकी एवं उदार कला संकाय में "विरासत समिति" का उद्घाटन कार्यक्रम किया गया। जिसके लिए एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। समिति का उद्देश्य भोपाल व उसके आसपास के क्षेत्र के इतिहास, संस्कृति, धरोहर को जानना, समझना उसके अनेक पहलुओं पर चिंतन करना और इतिहास को संरक्षित रखना है। इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखकर समिति ने अब तक अनेक कार्य किए हैं। सर्वप्रथम समिति के सलाहकार गब्बर सिंह ने अपने स्वागत उद्बोधन से संगोष्ठी की शुरुआत की। समिति के अध्यक्ष पुष्पेंद्र बंसल ने समिति के अब तक के कार्यों व उपलब्धियों का विवरण दिया और कहा की “इतिहास कभी भी आखरी बार नहीं लिखा जाता”।

इस अवसर पर वरिष्ठ पुरातत्वविद डॉ. नारायण व्यास मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, उन्होंने इस अवसर पर पुरातत्व और इतिहास के संरक्षण से जुड़ी अनेकों महत्वपूर्ण बातें साझा की एवं उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा “ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा” उन्होंने इस अवसर पर ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व की चीज़ों की प्रदर्शनी भी लगायी जिसमे पुराने सिक्के, पाण्डुलिपि, मनके इत्यादि रखे गए। उनके साथ विशिष्ठ अतिथि के रूप में संग्रहकर्ता श्री अरुण सक्सेना जी उपस्थित रहे और उन्होंने अपने संग्रह के बारे मैं श्रोताओं को बताया और किस प्रकार हम अपने कीमती इतिहास को किस प्रकार याद व संरक्षित रख सकते हैं उसके लिए मार्गदर्शन दिए, उन्होंने अपने सिक्कों व डाक टिकट के संग्रह के माध्यम से हमारी संस्कृति की झलक प्रदर्शित की।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीकांत जी ने विरासत के विषय को अपने जीवन से जोड़ते हुए एवं इतिहास को संरक्षित रखने के विभिन्न आयामों पर चर्चा की और कहा “हमें अपने पुरखों से संस्कारों की धरोहर को संरक्षित रखना होगा”। प्रति कुलपति डॉ. संगीता जौहरी ने समिति के कार्यों की सराहना की एवं समिति को सर्वव्यापी बनाने के लिए बहुत से सुझावों को प्रेषित किया। समिति की संयोजक एवं इतिहास की सह प्राध्यापक डॉ. सावित्री सिंह परिहार ने कहा कि “युवा पीढ़ी को अपने इतिहास व संस्कृति को कभी नहीं भूलना चाहिए”। संगोष्ठी के दौरान ओंकार सिंह राणा जी की पुस्तक “गूढ़ रहस्य प्रकाशिका” का विमोचन किया गया, उन्होंने पुस्तक के बारे में बताया की इस पुस्तक में भारतीय धार्मिक अनुष्ठानों की वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर बात की गयी है। विरासत समिति के कार्यों में समिति के सह-संयोजक डॉ. संजय दुबे एवं सलाहकार श्री अमित नेमा जी एवं समिति के सदस्यों का योगदान रहा। समिति की सचिव अवनी रघुवंशी ने कार्यक्रम का संचालन कर उसे सफल बनाया। इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी में विश्वविद्यालय के छात्रों एवं शिक्षकों ने प्रदर्शनी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी मौजूदगी दर्ज की।

Created On :   13 May 2024 3:07 PM IST

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