भोपाल: आरएनटीयू एवं म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के संयुक्त तत्वाधान में बौद्धिक संपत्ति अधिकार पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

आरएनटीयू एवं म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के संयुक्त तत्वाधान में बौद्धिक संपत्ति अधिकार पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में बौद्धिक संपदा अधिकार (आई.पी.आर.) पर केंद्रित दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसे म. प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् द्वारा उत्प्रेरित एवं वित्त पोषितकर कार्यशाला विज्ञान संकाय व आई.पी.आर. सेल ने सयुंक्त रूप से आयोजित किया गया। प्रथम सत्र में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ विकास शेंडे, प्रधान वैज्ञानिक एम.पी.सी.एस.टी. भोपाल और रिसोर्स पर्सन डॉ. भरत गुप्ता निदेशक सी.आई.एस.टी. भोपाल उपस्थित थे।

मुख्य वक्ता डॉ. भरत गुप्ता ने एंटरप्रेन्योर और टेक्नोप्रेन्योर के अंतर के साथ व्याख्यान देने की बात कही। उन्होंने टेक्नोप्रेन्यूरल इकोसिस्टम का महत्व बताया। टेक्नोप्रेन्योर, एंटरप्रेन्योर से किस प्रकार भिन्न है? एक सर्विस मैन (कर्मचारी) अपने पूरे जीवन में जो पैसा कमाता है वह एक टेक्नोप्रेन्योर की एक दिन की कमाई के बराबर होता है। एक कर्मचारी की स्थिति उस बंदर के समान है जिसे केले का प्रलोभन देकर कैद कर लिया जाता है। डॉ. गुप्ता ने अपने स्मार्ट इलेक्ट्रिक मीटर के आविष्कार पर एक डॉक्यूमेंट्री लघु फिल्म का प्रदर्शन किया। उन्हें इस तकनीक पर 2012 में माननीय राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। डॉ. गुप्ता ने समस्या के समाधान के लिए छत पर पानी की टंकी के नए डिजाइन के अपने अन्य पेटेंट के बारे में भी बताया। डॉ. विनय यादव, प्राचार्य अभियांत्रिकी संकाय ने कहा प्रत्येक व्यक्ति को कुछ न कुछ नवाचार सोचना चाहिए जो की अपने आप को विशिष्ट पहचान देता हो। डॉ. विकास शेंडे, प्रधान वैज्ञानिक एम.पी.सी.एस.टी., ने पेटेंट जागरूकता के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की। कार्यशाला में उपस्थित भागीदार जीवंत चर्चाओं और प्रश्नोत्तर सत्रों में शामिल हुए, जिससे एक इंटरैक्टिव वातावरण को बढ़ावा मिला जिसने विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया। विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति डॉ. संगीता जौहरी ने कहा कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार (आईपीआर) एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है जो एक नई अर्थव्यवस्था के निर्माण में मदद करता है। विश्वविद्यालय में वर्त्तमान में सत्तर से अधिक पेटेंट रजिस्टर हैं जिनमे से 6 शासकीय अनुदान प्राप्त हैं।

प्रथम सत्र में अतिथियों का स्वागत डॉ. पूर्वी भारद्वाज, अधिष्ठाता विज्ञान संकाय ने करते हुए विज्ञान विभाग का परिचय दिया। कार्यक्रम का आरम्भ डॉ. प्रीति सिंह एसोसिएट प्रोफेसर विज्ञान संकाय ने मां सरस्वती वन्दना और स्वागत भाषण से करते हुए अतिथियों का सम्मान किया। विश्वविद्यालय में डॉ. प्रतीक निगम और टीम के सदस्यों द्वारा संचालित एक आईपीआर सेल है जो स्टाफ एवं छात्रों को पेटेंट के प्रति जागरूक करती है।

द्वितीय सत्र में कार्यक्रम का संचालन सुश्री अंकिता सिकोरिया सहा. प्रोफ़ेसर विज्ञान संकाय ने किया। दूसरे दिन रिसोर्स पर्सन डॉ. एनके चौबे, वरिष्ठ प्राचार्य एवं प्रमुख आईपी सुविधा केंद्र, पेटेंट सूचना केंद्र एवं प्रौद्योगिकी प्रबंध केंद्र, एमपीसीएसटी भोपाल रहे। इस मौके पर डॉ चौबे ने कहा कि विश्वविद्यालय के अटल इनक्यूबेशन सेंटर में शोध के लिए बेहतर सुविधाएं और माहौल है। डॉ. चौबे ने सेशन की शुरुआत में रोचक कहानी से की जिसमे वह अपनी बौद्धिक क्षमता से भगवान से अपने लिए सबकुछ मांग लेती है। उन्होंने पेटेंट की उपयोगिता पेटेंट, डिज़ाइन पेटेंट, ट्रेड मार्क और कॉपीराइट पर प्रकाश डाला। लोगो और ब्रांड नाम क्रमशः ट्रेडमार्क और कॉपीराइट के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने कोका कोला ब्रांड का उदाहरण भी लिया. उन्होंने कहा कि अनुसंधान और विकास आई.पी.आर. से जुड़ा हुआ है। आविष्कार मन की रचनात्मकता है।

समापन समारोह: में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति रावत ने उपस्थित लोगों और वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए बौद्धिक संपदा की जटिलताओं से निपटने में निरंतर सीखने के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में डॉ. तेजकरण नारोलिया, डॉ. शरद सोनी, डॉ. जीतेन्द्र अहीर, डॉ. नाइश ज़ामीर, डॉ. माधवी, डॉ. प्रतिमा, डॉ. प्रबल रॉय सहित वरिष्ट प्राध्यापक विभागाध्यक्ष व बडी संख्या में स्कॉलर उपस्थित थे।

Created On :   7 Dec 2023 2:13 PM IST

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