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मेहनत रंग ला रही: महिला किसान का प्रयोग, कश्मीरी बेर और कद्दू का उत्पादन बढ़ाकर चमका रही किस्मत
- धान का विकल्प तलाश कर उगाई सब्जियां
- करेला, बैगन, चौलाई का उत्पादन भी ले रहीं
- फल बागीचा योजना कृषि विभाग का मार्गदर्शन
डिजिटल डेस्क, लाखनी (भंडारा) धान फसल की बजाय अब अलग -अलग फसलें किसानों के सामने विकल्प के रूप में हैं। इन फसलों की लागत धान की तुलना में अधिक होती है। फलों के बगीचे की बुआई एवं प्रबंधन के पहले चरण में अधिक खर्च होता है। करीब एक वर्ष से 5 वर्ष तक उत्पादन भी नहीं होता है। लेकिन इसमें सब्जी फसल की आंतरिक बुआई करने पर केवल दो महीने में उत्पादन होता है। जिले में फल बागीचा योजना कृषि विभाग के मार्गदर्शन में चल रही है। सुशिक्षित महिला किसान सरिता फुंडे ने 30 आर. के बगीचे में कश्मीरी बेर एवं कद्दू की बुआई की है।
यह एक अलग प्रयोग है। सरिता ने बारिश के मौसम में जिले में सब्जी फसल एवं फल बगीचे की खेती प्रेरणादायी बन गई है। पहले चरण में सब्जी फसल एवं दूसरे चरण में फल बगीचे की बुआई की है। जिले में आम, चीकू, पपीता, कश्मीरी बेर समेत अन्य फल बागीचे की बुआई की जाती है। पालांदुर में आम एवं जाम के फल बगीचे लगाए गए हैं। फुंडे के बागीचे में एक एकड़ में करेला और पौने एकड़ में चौलाई का उत्पादन लिया जा रहा है। एक एकड़ में बैगन की बुआई भी की गई है। जुलाई एवं अगस्त महीने में हुई अतिवृष्टि के कारण उत्पादन में कमी आई है। किंतु 10 दिनों से आसमान साफ होने से सब्जी फसल का उत्पादन अच्छा हो रहा है।
अध्ययन कर प्रयोग कर रहे हैं : महाराष्ट्र की विविध जगह की खेती का अध्ययन करके खेत में फल बगीचा एवं सब्जी फसल की एकत्रित खेती करने का प्रयास शुरू है। इसके लिए कृषि विभाग व्दारा भी मार्गदर्शन मिल रहा है। -सरिता फुंडे, प्रगतिशील महिला किसान
Created On :   20 Aug 2024 1:58 PM IST