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Bhandara News: कृत्रिम जलाशय खाली : प्यास से व्याकुल वन्यजीव कर रहे गांवों का रुख

- वनविभाग के रिकॉर्ड पर 480 कृत्रिम जलाशय दर्ज
- प्रत्यक्ष में खाली पड़े हैं अधिकांश
Bhandara News मार्च महीने से ग्रीष्मकाल की शुरुआत होती है। पिछले दो दिन से जिले में अधिकतम 39 अंश सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया है। जंगलों में भी पानी के प्राकृतिक जलस्त्रोत सूखने लगे हंै। जिससे पानी की तलाश में निकले वन्यजीव गांव की ओर आ रहे हैं। जंगल में वन्यजीवों के लिए बनाएं गए कृत्रिम जलाशयों में सुचारू रूप से जलापूर्ति नहीं की जा रही है। भंडारा तहसील के वनव्याप्त परिसर में कृत्रिम जलाशयों की स्थिति बिकट है। वनविभाग के अधिकारियों के कहने के अनुसार जिले में कृत्रिम जलाशयों की संख्या 480 है। किंतु केवल भंडारा तहसील के वनव्याप्त परिसर का जायजा लिया जाए तो प्रत्यक्ष रूप कृत्रिम जलाशयों की दुरावस्था दिखाई दे रही है।
भंडारा जिले में कोका वन्यजीव अभयारण्य, नवेगांव नागझिरा वन्यजीव अभयारण्य का कुछ वनक्षेत्र साथ ही उमरेड करांडला वन्यजीव अभयारण्य का वनव्याप्त क्षेत्र बडे पैमाने पर है। ग्रीष्मकाल में कितने वन्यजीव पानी के अभाव में भी दम तोड़ देते हैं। ऐसे में एक तरफ वनविभाग कहता है कि जिले में 110 प्राकृतिक जलाशय एवं 480 कृत्रिम जलशयों का निर्माण किया गया है। जिनके माध्यम से वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था होगी। किंतु जंगल व्याप्त क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप से जाकर देखा तो करीब भंडारा तहसील के तहत आने वाले कोका से लेकर आस पास के वनक्षेत्र में कृत्रिम जलाशयों में पूरी तरह सुखे पडे है। पानी की तलाश में वन्यजीव गांव की ओर आते है और पालतू जानवरों के शिकार की घटनाएं घटित होती है। ऐसे में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर वनविभाग की सतर्कता पर सवाल उपस्थित हो रहे हैं।
पानी की तलाश में गंवाते हैं जान : आसपास के परिसर में पानी नही मिलने पर महामार्ग पार करते समय कितने वन्यजीवों को जान से हाथ धोना पड़ता है। वन्यजीव प्रेमियों को वनविभाग के इस लापरवाह रवैये पर गहरी नाराजगी जताई है।
इंटेंसिव मैनेजमेंट के बगैर नहीं करते जलापूर्ति : भंडारा जिले में प्राकृतिक जलाशयों की संख्या बड़े पैमाने पर है। कृत्रिम जलाशयों का निर्माण किया गया है। किंतु आरक्षित क्षेत्र छोड़कर जंगल परिसर में पानी में यूिरया के माध्यम से विष प्रयोग जैसी घटनाओं को टालने के लिए बिना इंटेन्सिव मैनेजमेंट के बगैर जलापूर्ति करना आसान नहीं होता। व्याघ्र प्रकल्प और आरक्षित जंगलों में टैंकर से जलापूर्ति की जा रही है। - राहुल गवई, उप वनसरंक्षक, भंडारा वनविभाग
Created On : 21 March 2025 9:38 AM