आंदोलन को समर्थन: भारत बंद को बीड में मिला-जुला समर्थन , प्रशासन को सौंपा ज्ञापन

भारत बंद को बीड में मिला-जुला समर्थन , प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
  • आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति लामबंद
  • पिछड़ी जातियों को न्याय दिलाने उठाई आवाज
  • देश पर के संगठनों के साथ आए बीड वासी

डिजिटल डेस्क, बीड। एससी-एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 21 अगस्त को देशभर की 21 संगठनों के ओर से भारत बंद को बीड शहर से समर्थन मिला। प्राप्त जानकारी के अनुसार बीड शहर सहित आदि तहसीलों में 21 अगस्त को बुधवार के दिन सुबह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के लोग एक जगह पर इकट्ठा हुए । रैली निकालकर व्यापारियों को दुकानें बंद करने का आह्वान करने पर व्यापारीयों ने खुद अपनी दुकानें बंद कर भारत बंद को समर्थन दिया।अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के लोगों की रैली बीड जिलाधिकारी कार्यालय में जाकर विभिन्न मांगों का ज्ञापन प्रशासन को सौंपा । दरमियान कोई भी अनुचित घटना न घटे इसलिए पुलिस का तगड़ा बंदोबस्त तैनात किया गया ।

तहसील कार्यालय में नारेबाजी : बीड जिले से आष्टी में 21अगस्त को दोहपर के समय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के लोग सहित समुदाय सड़क पर उतरकर तहसील कार्यालय में रैली निकाली। जब तहसील कार्यालय में रैली पहुंची तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ निषेध जोरदार नारेबाजी की।कोई अनुचित घटना न घटे इसलिए पुलिस का कड़ा बंदोबस्त तैनात था।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला? : सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था, ''सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए - सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्‍य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।

Created On :   21 Aug 2024 2:32 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story