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Beed News: संतोष देशमुख की हत्या मामले में मुख्य आरोपी सुदर्शन घुले द्वारा पुलिस को दिया गया बयान अधूरा

- अंजली दमानिया ने फिर से गंभीर आरोप लगाया
- सब कुछ छुपाने की कोशिश
- तीनों आरोपियों का एक मानक प्रारूप
Beed News सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने आरोप लगाया है कि बीड के मस्साजोग के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी सुदर्शन घुले द्वारा पुलिस को दिया गया बयान अधूरा है। इस संबंध में उन्होंने संदेह जताया है कि कुछ छिपाने का प्रयास किया जा रहा है, उन्होंने दावा किया कि वर्तमान मामले में तीनों आरोपियों के बयान मानक प्रारूप में हैं।
9 दिसंबर 2024 को सरपंच संतोष देशमुख की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस मामले में वरिष्ठ राकांपा नेता धनंजय मुंडे के करीबी वाल्मीक कराड के साथ सुदर्शन घुले, जयराम चाटे, महेश केदार, विष्णु चाटे व अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। सुनवाई धीरे-धीरे आगे बढ़ने के साथ ही उन सभी द्वारा पुलिस को दिए गए बयान सामने आ रहे हैं। इससे कई नये खुलासे हो रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में, अंजलि दमानिया ने आरोप लगाया है कि सुदर्शन घुले का बयान आंशिक या अधूरा है।
अंजलि दमानिया ने विभिन्न प्रश्न उठाए : अंजलि दमानिया ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, 'सुदर्शन घुले का बयान अधूरा है?' सब कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे हैं? तीनों की ओर से एक मानक प्रारूप प्रतिक्रिया। हत्या के बाद उन्होंने भागने का फैसला कैसे किया? किसने मदद की? आप कहा चले गए थे? कृष्ण आंधले कितने समय तक उनके साथ रहे? वे किसके कहने पर भागे? क्या आपने इस दौरान कराड से बात की या नहीं? क्या मुंडे ने मदद की?
वे कहां भाग गए? भिवंडी पहुंचने में कितने दिन लगे? पैसा किसने पहुंचाया? तो फिर वे पुणे कैसे आये? तुम्हें आने के लिए किसने कहा? उन्होंने कृष्णा के साथ क्या किया? सिद्धार्थ सोनवणे कैसे और कब अलग हो गए? डॉ. वायबसे ने किसके निर्देश पर पैसे पहुंचाए? दमानिया ने कहा है कि उनके बयान में ऐसा कुछ भी नहीं है।
पुलिस ने समय पर एक्शन लिया होता,तो जान बच जाती : संतोष देशमुख का केज-बीड रोड पर स्थित टोल बूथ से अपहरण कर लिया गया था। उस समय देशमुख की कार के ड्राइवर के गले में दरांती लगाई गई। इसके बाद उस व्यक्ति ने तुरंत संतोष देशमुख के भाई धनंजय देशमुख को घटना की जानकारी दी। इसके बाद धनंजय ने उसे घटना की सूचना तुरंत पुलिस को देने का निर्देश दिया। तदनुसार, यह प्रत्यक्षदर्शी पुलिस थाने गया। लेकिन उन्हें वहां तीन से साढ़े तीन घंटे तक रखा गया। इस व्यक्ति ने अपने बयान में यह सब बताया है। दमानिया ने इस संबंध में यह भी कहा कि इससे केज पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठते हैं।
ऐसे मामलों में प्रत्यक्षदर्शी गवाह का बयान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। लेकिन उन्हें साढ़े तीन घंटे तक पुलिस थाने में रखा गया। उस समय पुलिस निरीक्षक महाजन और बनसोडे ही एकमात्र अधिकारी थे। इसलिए संभावना है कि ये अधिकारी भी इस साजिश में शामिल हों। इस अवसर पर दमानिया ने यह भी कहा कि यदि पुलिस ने इस मामले में समय पर कार्रवाई की होती तो संतोष देशमुख की जान बच जाती।
Created On :   29 March 2025 6:35 PM IST