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अनूठी परंपरा: गांव के 125 दामाद फरार, यहां होली में नए दामाद को कराई जाती है गधे की सवारी
- दामाद तो दामाद गधे के भी दिन फिरे
- इस त्यौहार गांव के 125 दामाद फरार हो गए
- गधे और दामाद जी की पड़ताल में जुटी गांव की टीमें
डिजिटल डेस्क, बीड, सुनिल चौरे. होली के दिन नए दामाद जी की गधे पर सवारी की परंपरा के चलते गांव के कुल 125 दामाद फरार हो गए। इनमें एक दामाद को ढूंढने के लिए टीमें जगह-जगह तड़ताल में जुटी हैं। रविवार रात तक हर हाल में दामाद जी को ढूंढकर गांव लाना होता है। यहां एक कमरे में उन्हें बंद कर दिया जाता है। इसके दूसरे दिन सुबह होली के समय दामाद जी को बाहर निकाल, गधे की सवारी कराई जाती है, इसके साथ ही शुरु हो जाती है, इस गांव की अनूठी परंपरा, जो पिछले 87 साल से बादस्तूर जारी है।
गधे के भी दिन फिरे
गधे को भी दामाद जी को घुमाने के लिए मनाना पड़ता है, इस दिन गधे को भी बढ़िया खिला पिलाकर सजाया जाता है। फूलों के हार गधे के गले में डाले जाते हैं। दूल्हे की तरह सजाया जाता है।
केज तहसील का विडा येवता गांव अपनी इस खास परंपरा के कारण देशभर में जाना जाने लगा है। जहां होली वाले दिन नए दामाद जी को गधे की सवारी कराई जाती है। क्योंकि रंगों के इस त्यौहार पर हंसी-मजाक वाली परंपराएं भी होती हैं। नए दामाद के साथ उनके ससुरालवाले मस्ती-मजाक करते हैं।
देखा जाए तो होली के दिन कुछ लोग रंग लगवाने से बचते हैं, कहीं छिप जाते हैं या खुद को किसी कमरे में बंद कर लेते हैं। जबरदस्ती रंग लगाने के चक्कर में अक्सर झगड़े हो जाते हैं। फिर 'बुरा न मानो होली है' वाली कहावत ही बात को ठंडा करती है।
ऐसे शुरु हुई परंपरा
87 साल पहले विडा येवता गांव में ठाकुर आनंद देशमुख परिवार के एक दामाद ने रंग लगवाने से मना कर दिया था। तब ससुर ने उन्हें रंग लगाने के लिए मनाने की कोशिश की थी। फूलों से सजा हुआ एक गधा मंगवाया गया, उस पर दामाद को बिठाया गया, फिर गले में जूते चप्पलों का हार पहना गांव में जुलूस निकाला था। दामाद जी को गधे पर बिठा मंदिर तक ले जाया गया। जहां उनकी आरती उतारी गई। नए कपड़े और सोने की अंगूठी दी गई। मुंह मीठा करवा रंग लगाया गया। तब से गांव में यह परंपरा बन गई।
हर साल गांव में होली से पहले ऐसे दामाद को ढूंढा जाता है, जिनकी नई-नई शादी हुई हो। कई बार तो गांव के कुछ दामाद इससे बचने के लिए भागने की कोशिश करते हैं, लेकिन गांववाले पूरा पहरा रखते हैं। ताकि परंपरा निभाई जा सके। बहरहाल होली में कुछ घंटे बचे हैं, लिहाजा गांव में भी पूरी तैयारियां हो चुकी हैं।
दामाद को एक ही मौका
गांव में एक दामाद को सिर्फ एक बार ही गधे पर बैठाकर सवारी करने का मौका मिलता है। सभी गांवावाले इस जुलूस में शामिल होते हैं। सवारी से पहले दामाद को ढूंढकर गांव लाया जाता है। उसे अज्ञात स्थान पर रखा जाता है। जिसकी किसी को भी जानकारी नहीं दी जाती। यह काम बेहद गोपनीय तरीके से होता है।
जिले में गधे की संख्या कम
सरपंच सूरज पटाईत ने बताया कि सोमवार सुबह 10 बजे दामाद जी को गधे पर विराजित कराया जाएगा। यह काम इतना आसान नहीं, पहले गधे और दामाद को ढूंढ़ने में टीमों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। पिछले तीन सालों में गधों की संख्या घटी है। इसलिए गांव की दो टीमेंं केवल गधे को ढूंढने में ही लगाई जाती है। उम्मीद जताई जा रही है कि दामाद जी और गधा जल्द मिल जाएंगे।
Created On :   24 March 2024 7:06 PM IST