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आष्टी शहीद: सूखे कृत्रिम जलस्रोत, टंकियों में नहीं एक बूंद पानी, गर्मियों में हाल बेहाल
- आष्टी वनपरिक्षेत्र के वन्यजीवों का रुख गांवों की ओर
- वनविभाग के करोड़ों रुपए बर्बाद
- कृत्रिम टंकियों में करवाएंगे पानी उपलब्ध
डिजिटल डेस्क, आष्टी शहीद. जिले के आखिरी छोर पर बसी आष्टी तहसील में ग्रीष्म की तेज आहट महसूस हो रही है। इसमें जंगल के वनपरिक्षेत्र अंतर्गत बनाए गए कृत्रिम जलस्रोत सूख गए हैं। इन टंकियों में पानी की एक बूंद भी नहीं होने से बाघ, तेंदुए, नीलगाय, हिरण जैसे वन्यजीवों ने पानी की खोज में गांव की दिशा में रुख करना शुरू कर दिया है। फलस्वरूप मानव-वन्यजीव संघर्ष निर्माण होने की आशंका बढ़ गई है। बता दें कि, आष्टी समीप थार जंगल है। इस जंगल क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए बनाए गए किसी भी कृत्रिम टंकियों में पानी नहीं है। जंगल के प्राकृतिक स्रोत वैसे ही सूख चुके हैं। ऐसे में अब पानी की तलाश में बाघ, तेंदुआ गांव की ओर रुख कर रहे हैं।
इससे ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है। गत सप्ताह में राज्य मार्ग पर बाघ के दर्शन हुए थे। आवागमन करनेवाले यात्रियों ने यह पूरा मामला मोबाइल में कैद किया था। माणिकवाड़ा, तारासावंगा, वड़ाला, पोरगवाण जंगल में भी यही स्थिति है। छोटी आर्वी, विट्ठलापुर में बाघ ने अनेक जानवरों का शिकार किया गया। बाघ व तेंदुए की दहशत होने से किसानों में दहशत है। गांव समीप जानवरों के तबेले में आकर वन्यजीव पानी पीते हैं। इस दौरान गाय, बैल, बघड़ों की शिकार करते हैं। इससे किसानों का नुकसान हो रहा है। आष्टी वनपरिक्षेत्र में कुल तीन बाघ, पांच तेंदुए व सैकड़ों वन्यजीव हैं। इन वन्यजीवों के लिए तुरंत टंकियों में पानी की सुविधा उपलब्ध करना आवश्यक हैं।
वनविभाग के करोड़ों रुपए बर्बाद
वनविभाग ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से करोड़ों रुपए का खर्च किया, परंतु अब जंगल में वन्यजीवों के लिए ग्रीष्म में पानी ही उपलब्ध नहीं है। इससे पानी के अभाव में वन्यप्राणियों को अपनी जान गंवाने की नौबत आयी है। जंगल के बंदरों का झुंड खाना, पानी के अभाव में गांव-गांव में आतंक मचा रहे हैं। अनेक घरों की छत पर बैठकर नुकसान कर रहे हैं।
कृत्रिम टंकियों में करवाएंगे पानी उपलब्ध
योगानंद उईके, वनपरिक्षेत्र अधिकारी, आष्टी शहीद के मुताबिक जंगल के बाघ, तेंदुए सहित वन्यजीव ग्रीष्म के दिनों में पानी के लिए गांव के बस्तियों में आकर जानवरों पर हमले करते हैं। यह स्थिति ग्रीष्म के दिनों में अधिक होती है। इसके लिए जंगल में जगह-जगह कृत्रिम टंकी बनाई गई हैं। अब उन टंकियों में पानी उपलब्ध किया जाएगा। साथ ही नई टंकियां बनाकर वहां भी पानी की सुविधा की जाएगी ।
Created On :   18 April 2024 6:47 PM IST