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विरोध: यशोमति ठाकुर ने कहा बच्चों को संविधान पढ़ाएं, मनुस्मृति नहीं !
- शिक्षा पाठ्यक्रम में मनुस्मृति का समावेश नामंजूर
- सभी ओर से किया जा रहा विरोध
- पाठ्यक्रम में संविधान की प्रस्तावना लाने की मांग
डिजिटल डेस्क, अमरावती। पाठ्यक्रम में मनुस्मृति के एक श्लोक को शामिल करने को लेकर जहां बहस चल रही है, वहीं राज्य की पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री एड. यशोमती ठाकुर ने कहा है कि पाठ्यक्रम में संविधान की प्रस्तावना लाई जानी चाहिए न कि मनुस्मृति के श्लोक।
उन्होंने आगे कहा कि भारतरत्न डॉ.बाबासाहब आंबेडकर ने मनुस्मृति की होली जलाई थी। उसी मनुस्मृति श्लोकों को पाठ्यक्रम में शामिल करना इस बात का प्रतीक है, कि वास्तव में सरकार की मानसिकता एक बार फिर देश में चतुवर्ण व्यवस्था लागू करना है। देश और राज्य को एक ऐसे संविधान की जरूरत है जो सर्व-धार्मिक सद्भाव और समानता सिखाए और लोगों को उनके बुनियादी अधिकार दे। इसलिए यदि शिक्षा में कुछ भी शामिल करना है तो संविधान का वह उद्देश्य जो मनुष्य के रूप में जीने का अधिकार प्रदान करता है, उसे ही शिक्षा में शामिल किया जाना चाहिए।
कांगेस का जिलाधीश को निवेदन : शैक्षणिक पाठ्यक्रम में मनुस्मृति का समावेश नहीं करने की मांग कांग्रेस ने जिलाधीश को दिए ज्ञापन के माध्यम से सरकार से की। कांग्रेस ने कहा कि पाठ्यक्रम में संविधान की प्रस्तावना लायी जानी चाहिए न कि प्रतिबंधित मनुस्मृति के श्लोक। देश और राज्य को एक ऐसे संविधान की जरूरत है जो सर्व-धार्मिक सद्भाव और समानता सिखाए और लोगों को उनके बुनियादी अधिकार दे. इसलिए यदि शिक्षा में कुछ भी शामिल करना है तो संविधान का वह उद्देश्य जो मनुष्य के रूप में जीने का अधिकार प्रदान करता है, उसे शिक्षा में शामिल किया जाना चाहिए। यह मांग इस वक्त जिलाधीश को निवेदन देने पहुंचे कांग्रेस पदाधिकारियों ने की। इस अवसर पर कांग्रेस प्रदेश महासचिव किशोर बोरकर, पूर्व कुलगुरु डॉ.गणेश पाटिल, हेमंत देशमुख, डॉ. बी.आर. देशमुख, समीर जवंजाल सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
Created On :   29 May 2024 1:23 PM IST