खेती-किसानी: अमरावती में मानसून पूर्व बुआई की तैयारियों ने पकड़ी गति, जुटे किसान

अमरावती में मानसून पूर्व बुआई की तैयारियों ने पकड़ी गति, जुटे किसान
  • अधूरे कार्यों को तेजी से पूरा करने में जुटे
  • खेत के लिए जरूरी खाद, बीज का कर रहे जुगाड़
  • तुअर और ज्वारी की फसल को अधिक महत्व

डिजिटल डेस्क, अचलपुर(अमरावती)। मानसून का समय पर आगमन की मौसम विभाग की भविष्यवाणी के साथ ही किसानों द्वारा खरीफ सीजन की तैयारी जोर-शोर से शुरू की है। प्री-मानसून बारिश की संभावना के कारण किसान बचे हुए कृषि कार्यों और अधूरे कार्यों को तेजी से पूरा करने में जुट गए हैं। इसके साथ ही खेत के लिए जरूरी खाद, बीज के जुगाड़ में जुटे हैं। इनदिनों बाजार में विभिन्न प्रकार के बीटी कपास के बीज बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। लेकिन इस साल कपास फसल को कम दाम मिले है। जबकि तुअर को अच्छे दाम मिले है या नहीं, इस बात को लेकर किसान पूरी तरह असमंजस में है। ऐसे में कपास की तुलना में तुअर की फसल को प्राथमिकता दी जा रही है। वैसे भी तुअर फसल की उत्पादन लागत कम है। इसलिए इस वर्ष तुअर की बुआई में बढ़ोतरी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। यही स्थिति सोयाबीन की भी है, जो अभी भी कीमतों में कमी के कारण किसानों और व्यापारियों द्वारा नहीं बेची जा सकी हंै। कहा जा रहा हैं कि कपास की तरह सोयाबीन की बुआई भी कम हो जाएगी।

केले की फसल का बढ़ेगा रकबा : इस वर्ष केले की फसल का अपेक्षित मूल्य मिलने से केला किसानों को काफी आर्थिक लाभ हुआ है। इसलिए इस वर्ष केले के बीज में वृद्धि होने की संभावना है और किसानों ने केले की खेती के लिए खेत तैयार कर लिये हैं। कुंल मिलाकर जिले में खेत खलिहान की तैयारी में किसान तेजी से तैयारियों में लग गए हैं।

चांदुर बाजार में घटेगा सोयाबीन और कपास का बुआई क्षेत्र : कृषि विभाग द्वारा इस बार तुअर और ज्वारी की फसल को अधिक महत्व दिया जा रहा हैं। इससे तहसील में सोयाबीन और कपास की बुआई घटने का अनुमान जताया जा रहा है। तहसील में कृषि केंद्राें द्वारा किसानों को समूचित मात्रा में बीज व खाद उपलब्ध कराया जा रहा हैं। इस बार सोयाबीन 13 हजार 590 हेक्टेयर क्षेत्र, कपास 18 हजार 712 हेक्टेयर क्षेत्र, तुअर 10 हजार 501 हेक्टेयर क्षेत्र, ज्वारी 250 हेक्टेयर क्षेत्र में बोयी जाएगी, जबकि 740 हेक्टेयर क्षेत्र मंे अन्य फसलों की बुआई का नियोजन किया गया है। जबकि पिछले वर्ष सोयाबीन तथा कपास की बुआई बड़े पैमाने पर किसानों ने की थी। पिछले तीन वर्षों से मौसम की मार के कारण फसलों की बर्बादी से त्रस्त किसान इन दिनों बीज और खाद के लिए आर्थिक व्यवस्था करने में परेशान दिखाई दे रहा हैं। प्रशासन द्वारा सख्त निर्देश देने के बाद भी फसल कर्ज योजना का लाभ किसानों द्वारा कम दिया जा रहा है। कुछ निजी बैंकों द्वारा तो अभी तक किसानों को फसल कर्ज देना शुरू भी नहीं किया गया है। इससे किसान परेशान है।


Created On :   5 Jun 2024 10:15 AM GMT

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