उदासीनता: जर्जर इमारतों के गंभीर मामले की जांच में बयान देने नहीं पहुंचे मनपा अभियंता

जर्जर इमारतों के गंभीर मामले की जांच में बयान देने नहीं पहुंचे मनपा अभियंता
  • मनपा क्षेत्र की 36 जर्जर इमारतों को गिराने की है जिम्मेदारी
  • पदनिर्देशित अधिकारी छुट्‌टी पर, प्रभारी भी नहीं पहुंचे
  • मनपा की उदासीनता से खतरे में इमारतें

डिजिटल डेस्क, अमरावती। अमरावती मनपा क्षेत्र में जर्जर इमारतों की समस्या पिछले कुछ वर्षों से गंभीर बनी हुई है। इन जर्जर इमारतों को गिराने की जिम्मेदारी मनपा प्रशासन की है और मनपा आयुक्त ने जर्जर इमारतों पर कार्रवाई के लिए मनपा के सभी पांच जोन के उप अभियंता को पदनिर्देशित अधिकारी नियुक्त किया है। इस कारण जर्जर इमारतों को गिराना या नहीं गिराना इसका निर्णय पदनिर्देशित अधिकारी लेते है। मनपा क्षेत्र की 36 जर्जर इमारतों को गिराने में मनपा द्वारा की जानेवाली लेटलतीफी को लेकर अमरावती नागरिक कृति समिति ने कुछ माह पहले संभागीय आयुक्त के लोकशाही दिन में शिकायत दर्ज की थी। इस शिकायत की जांच संभागीय आयुक्त ने पुलिस आयुक्त और पुलिस आयुक्त कार्यालय ने कोतवाली पुलिस को सौंपी।

कोतवाली पुलिस ने मनपा के राजापेठ जोन के उपअभियंता एवं पदनिर्देशित अधिकारी प्रमोद इंगोले को चार दिन पहले ही पत्र लिखकर 14 मई को बयान के लिए उपस्थित रहने के निर्देश दिए थे। लेकिन इंगोले शनिवार को ही 8 दिन अवकाश की अर्जी देकर छुट्‌टी पर गए। उनका कार्यभार उप अभियंता लक्ष्मण पावडे के पास है। जिससे पुलिस ने प्रभारी के तौर पर पावडे को फोन कर बयान के लिए बुलाया था। लेकिन पावडे भी बयान देने कोतवाली थाने में नहीं पहुंचे। इस तरह जर्जर इमारतों के गंभीर मामले में मनपा कितनी सक्रिय है, यह दिखाई देता है।

किसी भी जर्जर इमारत को नहीं ढहाया : डेढ़ वर्ष पहले प्रभात चौक स्थित राजेंद्र लॉज की जर्जर इमारत के निचले माले पर स्थित राजदीप कलेक्शन का स्लैब ढहने से पांच लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले की जांच राज्य सरकार ने संभागीय आयुक्त को सौंपी थी। संभागीय आयुक्त ने मनपा के राजापेठ जोन के तत्कालीन उप अभियंता सुहास चव्हाण व शाखा अभियंता अजय विंचुरकर समेत जवाहर गेट के महावितरण के अभियंता को भी दोशी माना था। इस गंभीर घटना के बाद भी पिछले डेढ़ वर्षों से मनपा ने शहर के मुख्य बाजारपेठ की किसी भी जर्जर इमारत को नहीं ढहाया।

फिर से नोटिस दिया जाएगा : जर्जर मकानों पर निर्णय का फैसला मनपा ही ले सकती है। किंतु मामले की जांच पुलिस को सौंपी गई है। मनपा के अधिकारियों को नोटिस दिए थे। वे बयान देने नहीं पहुंचे। उन्हें फिर से नोटिस दिया जाएगा। 21 मई को बुलाया जाएगा । -मनोहर कोटनाके, थानेदार, कोतवाली

Created On :   15 May 2024 6:16 AM GMT

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