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उत्पादकों पर संकट: अंतिम सांसें गिन रही पान की खेती, पुश्तैनी व्यवसाय इतिहास बनने का खतरा
- बारी समाज के लोगों व्दारा की जा रही खेती
- पान का उत्पादन का कार्य तीन पीढ़ियों से चला आ रहा
- कपूरी पान क्षेत्रभर के अलावा देश में काफी मशहूर
डिजिटल डेस्क, अंजनगांव सुर्जी(अमरावती)। तहसील में बीते कई वर्षों से पान की खेती की जा रही है। यहां पर पान का उत्पादन का मुख्य कार्य बारी समाज पीढ़ी-दर-पीढ़ी करता चला आ रहा है, लेकिन वर्तमान में शासन-प्रशासन की इस खेती के प्रति रूचि न दिखने के कारण यहां पान का उत्पादन करना अब काफी कठिन हो गया है। यहां तक कि काफी पुराने इस कार्य में शासन का संरक्षण न मिल पाने से इसे करने वाले अच्छे से पनप नहीं पा रहे है, जिसके चलते यहां पान की खेती लगभग खत्म होने की कगार पर है। सैकड़ों वर्षों से अंजनगांव सुर्जी में रहने वाले बारी समाज के लोगों व्दारा पान की खेती की जा रही है। यहां का खास कपूरी पान क्षेत्रभर के अलावा देश में काफी मशहूर है।
बारी समाज करता है व्यवसाय : यहां का पान देश के विभिन्न क्षेत्रों में जाता है। यहां बहुतायात में रहने वाले बारी समाज के लोगों व्दारा इस कार्य को पीढ़ी तर पीढ़ी करते चले आ रहे है। वहीं पुराने समय में सैकड़ों की संख्या में पान बरेजे लगाये जाते थे। परंतू इस खेती में मेहनत तो बहुत है, पर इससे इतनी आय नहीं है। पान की खेती के कार्य में संलज्न उत्तमराव गुजर बताते है कि उनके यहां पान का उत्पादन का कार्य तीन पीढ़ियों से चला आ रहा है। वे कहते है कि अब यह धंधा करने को मन नहीं करता, क्योंकि इसमें अब मुनाफा नहीं है।
ऐसे पैदा होता है पान : पान की खेती करने के लिये बड़ी मेहनत करना पड़ती है। जिसमें पान की जड़ जमीन में लगाते हैं, उसमें खली, गोबर खाद, सरसों का तेल भी डाला जाता है। इसके बाद सिंचाई के लियं कंधों से, मटके से इसकी सिंचाई बड़े धीमे ढंग से की जाती है। वहीं पान के पौधों को बड़ा करने के लिये सहारे के तौर पर बांस या लकड़ी का सहारा प्रत्येक पौधे के साथ दिया जाता है। इसकी सुरक्षा के लिये घास एवं बांस की बागड़ को चारों तरफ ढंका जाता है। वहीं तेज आंधी से फसल को बचाने के लिये व्यवस्था की जाती है। इस फसल में कम बारिश एवं अधिक बारिश का विपरित प्रभाव पड़ता है।
Created On :   11 Sept 2024 1:07 PM IST