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राजनीति: लोकसभा चुनाव को लेेकर कांग्रेस आश्वस्त, भाजपा में भीतरघात का मंडरा रहा खतरा
- लोस चुनाव में 33 वर्षों बाद दिख सकता हैं पंजा
- अंदरुनी कलह से जूझ रही है भाजपा
- शक्ति प्रदर्शन का चल रहा है दौर
डिजिटल डेस्क अमरावती। लोकसभा चुनाव घोषित होने के साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू होने को अब केवल 7 दिन शेष रह गए हैं। ऐसे में अमरावती की एससी आरक्षित सीट पर महाविकास आघाड़ी से कौन होगा उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस आश्वस्त नजर आ रही है। जिससे लगभग 33 वर्षों बाद अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में पंजा नजर आ सकता है। वहीं आघाड़ी में बड़े भाई की भूमिका निभा रहे उद्धव ठाकरे की शिवसेना का अमरावती सीट पर दावा बरकरार रहने से बगावत के स्वर भी सुनाई दे रहे हैं
। उधर, महायुति में पहली बार भाजपा अपना उम्मीदवार मैदान में उतार रही है। जिससे स्वतंत्रता के बाद प्रथमत: अमरावती संसदीय क्षेत्र में कमल चुनाव चिन्ह दिखेगा। हालांकि यहां भी महाविकास आघाड़ी की तरह महायुति में शिंदे की शिवसेना का दावा कायम है। सोमवार को शिंदे शिवसेना के स्थानीय पदाधिकारियों ने मुंबई में मुख्यमंत्री के समक्ष अपना शक्ति प्रदर्शन किया।
अंदरूनी कलह कैसे रोक पाएगी भाजपा: कांग्रेस से 1991 में प्रतिभा पाटील के रूप में पंजे की उम्मीदवार के बाद से अमरावती की सीट आरपीआई के लिए छोड़ दी गई। बाद में यह सीट एनसीपी के कोटे में चली गई। वर्तमान में कांग्रेस के 3 विधायक हैं। इस हिसाब से महाविकास आघाड़ी में अमरावती सीट को लेकर कांग्रेस का दावा मजबूत हैं। वहीं उधर, जैसा कि लगभग तय हो गया कि निवर्तमान सांसद पर भाजपा दाव लगाने जा रही है। लेकिन इसी उम्मीदवारों की लेकर स्थानीय भाजपा में कलह किसी से छिपी नहीं है। भाजपा के अधिकांश पदाधिकारियों में तय उम्मीदवारी को लेकर दबी जुबान में नाराजगी व्यक्त की जा रही है। ऐसी स्थिति में भाजपा चुनावी महासंग्राम में यह गिले-शिकवे से कैसे निपट पाएगी? यह भी एक यक्ष प्रश्न बन गया है। पार्टी स्तर पर इसकी जिम्मेदारी उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को दिए जाने के संकेत मिले हैं।
Created On :   20 March 2024 9:33 AM GMT