सुसाइड: कोचिंग के लिए निकली घर से, किशोरी ने बारहवीं मंजिल से कूदकर की आत्महत्या

कोचिंग के लिए निकली घर से, किशोरी ने बारहवीं मंजिल से कूदकर की आत्महत्या
  • ड्रीम्ज प्राइड पर एक्टिवा से पहुंचकर टेरेस से लगाई छलांग
  • मोबाइल भी बारहवीं मंजिल के टेरेस पर मिला
  • आत्महत्या का कारण तलाश रही पुलिस

डिजिटल डेस्क, अमरावती। बडनेरा मार्ग पर तापडिया मॉल से सटे ड्रीम्ज प्राइड की बारहवीं मंजिल के टेरेस से छलांग लगाकर एक 17 वर्षीय किशोरी ने खुदकुशी कर ली। मृतका का नाम हर्षिता विजय तेलखड़े (चंदन नगर, साईंनगर, अमरावती) है। शुक्रवार की शाम 6.35 बजे यह हादसा हुआ। हर्षिता का मोबाइल भी बारहवीं मंजिल के टेरेस पर मिला।

बताया जाता है कि यह किशोरी मरुन रंग की एक्टिवा (एमएच 25-बीजे 8464) खुद चलाते हुए ड्रीम्ज प्राइड पहुंची। अपार्टमेंट के पार्किंग में एक्टिवा खड़ी कर सीधे 12वीं मंजिल के टेरेस पर पहुंची। वहां से नीचे छलांग दी। उसकी जगह पर ही मौत हो गई। सूचना मिलने पर राजापेठ पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची। आत्महत्या का कारण ज्ञात नहीं हो सका है। उसके पिता विजय केशवराव तेलखड़े (48, चंदन नगर) की मयूरेश भवन के पास लिलाई नाम से दुकान चलाते है और प्रापर्टी ब्रोकर है।

कोचिंग क्लास जाने की बात कहकर निकली थी घर से : परतवाड़ा के किसी कॉलेज में फर्स्ट ईयर की छात्रा हर्षिता राजापेठ स्थित नवल पाटील की कोचिंग क्लास में नियमित जाती थी। शुक्रवार को शाम 5.30 बजे रोजाना की तरह कोचिंग क्लास के लिए एक्टिवा पर घर से रवाना हुई, लेकिन क्लास की जगह पर वह सीधे ड्रीम्ज प्राइड पर पहुंच गई। खुदकुशी का वजह का पता नहीं चल पाया है। परिवार में माता-पिता और 9 साल का एक छोटा भाई है।

लोकसभा में गूंजा किसान आत्महत्या का मुद्दा : कांग्रेस सांसद बलवंत वानखडे ने बजट सत्र पर चर्चा के दौरान विदर्भ और अमरावती जिले में हो रही किसान आत्महत्याओं का मुद्दा उपस्थित कर केंद्र सरकार को आईना दिखाया। कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने फसल उत्पादन दोगुना करने और योग्य दाम देने की घोषणा की। विदर्भ में सर्वाधिक किसान आत्महत्या हो रही है। 6 माह में अब तक 557 किसान आत्महत्या कर चुके हंै। अमरावती जिले में आत्महत्या करनेवाले किसानों की यह संख्या पिछले 6 माह में 170 पर पहुंच गई है। कपास, सोयाबीन को योग्य दाम नहीं मिल रहे हंै। वर्ष 2014 में कपास को 10 हजार के भाव थे। आज 7 हजार रुपए भाव मिल रहे हैं। सोयाबीन को साल 2014 में 6 हजार रुपए के दाम थे। आज केवल 4 हजार रुपए के दाम मिल रहे हंै। सिंचाई की व्यवस्था नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बलिराजा प्रकल्प के अंतर्गत जो काम शुरू किए थे वह अभी भी अधूरे पड़े हैं। अनेक समस्या किसानों के समक्ष खड़ी है।

केंद्र का बजट प्रादेशिक और कुछ विशिष्ट राज्यों तक ही सीमित है। महाराष्ट्र सत्ता बचाने के चक्कर में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार ने बड़ा बलिदान दिया, लेकिन केंद्र सरकार ने दोनों के बलिदान का कोई विचार नहीं किया। महाराष्ट्र से केंद्र काे जीएसटी से सर्वाधिक राजस्व मिलता है। किसान, युवा, गरीब, मजदूर और बेरोजगारों के लिए भी कुछ नहीं किया। जनता के सुनहरे सपने धोखाधड़ी के खेल और आश्वासनों के कांटों में बदल गए है। जनता के नसीब में केवल दूख आया है। किसान अधमरा हो गया है। बजट में किसानों को अन्नदाता निरुपित किया गया है, लेकिन यह किसानों के साथ एकतरह का मजाक है।

Created On :   27 July 2024 2:51 PM IST

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