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आसमान की ओर किसानों की नजरें - काले मेघा, काले मेघा पानी तो बरसाओ
- बिजरी की तलवार नहीं, बूंदों के बाण चलाओ
- मानसून लटकटा देख किसानों की उड़ी नींद
डिजिटल डेस्क, अकोट। काले मेघा, काले मेघा पानी तो बरसाओ...बिजरी की तलवार नहीं, बूंदों के बाण चलाओ...हिन्दी मूवी लगान के गीत की तरह किसान आसमान में नजरें गढ़ा बैठ गए हैं। दर्द इस बात का है कि पहले सोयाबीन के अच्छे दाम तो मिले थे, लेकिन उत्पादन काफी कम रहा। वहीं सबसे भरोसेमंद फसल कपास को उचित दाम नहीं मिला, ऐसे हालात में इस बार खरीफ के मौसम में मानसून लटकटा देख किसानों की नींद उड़ गई है। खेतों में जमकर मशक्कत की गई। अधिकांश किसानों ने बुवाई के लिए आवश्यक बीज और खाद भी खरीदकर रख लिए हैं। सारी तैयारी होने के बावजूद मानसून उम्मीदों पर पानी फेर रहा है।
मानसून में अधिक देरी हुई, तो इसका उत्पादन पर असर होगा। अब इंतजार के अलावा किसानों के हाथ और कुछ नहीं।
जानकारों के मुताबिक मानसून धीमी गति से बढ़ रहा है, तहसील में आगमन के लिए कुछ दिन और इंतजार रहेगा। उमरा, अकोलखेड, देवरी, वरूर जउलका, पुंडा, मुंडगांव, सिरसोली समेत तहसील के सभी गांवों में किसानों ने खेत जोत लिए हैं। 75 प्रतिशत किसानों की बुवाई की तैयारी पूरी हुई है।
मौसम विभाग के मुताबिक 20 या 25 जून के बाद ही विदर्भ में मानसून सक्रिय हो सकता है, हालांकि मृगनक्षत्र शुरु हो चुका है। जिसके 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन मानसून लापता है। किसानों की चिंता बढ़ गई है। काले मेघा का किसानों को बेसब्री से इंतजार है।
Created On :   20 Jun 2023 1:55 PM GMT