जल आरक्षण में उलझा अमृत-2 का डीपीआर

जल आरक्षण में उलझा अमृत-2 का डीपीआर
  • मनपा की ओर से प्रयास का कोई असर नहीं
  • जल आरक्षण में उलझा अमृत-2 का डीपीआर

डिजिटल डेस्क, अकोला। बढ़ती आबादी और पानी की बढ़ती मांग के मद्देनजर वैकल्पिक जलस्त्रोत से बरसों पहले ही पानी मिलना शुरू होना चाहिए था। लेकिन अमृत-2 योजना के तहत मनपा की ओर से प्रयास का कोई असर नहीं दिख रहा। विरोध के कारण वान बांध के पानी आरक्षण को स्थगित करने के बाद से मनपा की परेशानी बढ़ी है। अब अन्य विकल्पों की पड़ताल की जा रही है। जीगांव प्रकल्प पर गौर कर नए से डीपीआर बनाया जा रहा है, लेकिन इस प्रकल्प के पानी आरक्षण ने डीपीआर को लटका दिया। सुकाणू समिति की बैठक को दो माह बीत जाने पर भी मनपा को जलस्त्रोत तथा जल आरक्षण का कार्य निपटाने में सफलता नहीं मिल पाई है।

बता दें कि अमृत योजना-1 के तहत प्राप्त निधि से मनपा क्षेत्र में गटर योजना व जलापूर्ति योजना के काम किए गए, लेकिन अभी भी सीमावृध्दि क्षेत्र में जलापूर्ति की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। एसटीपी के अलावा भूमिगत गटर योजना का कोई काम शुरू नहीं हो पाया है। इसलिए अमृत-2 के तहत मनपा की ओर से नियोजन किया जा रहा है। सबसे पहले एजेन्सी से जलापूर्ति योजना का डीपीआर तैयार करवाया गया। 609 करोड़ का डीपीआर मंजूरी के लिए मजीप्रा की ओर भेजा गया था, जिसकी पड़ताल के बाद प्रकल्प की कीमत 738 करोड़ 48 लाख रूपए पर पहुंची है। तकनीकी मंजूरी के बाद राज्य स्तर समिति ने भी मंजूरी प्रदान की है। मनपा क्षेत्र के लिए वान बांध से आरक्षित 24 दलघमी पानी के प्रस्ताव को मंजूरी के बाद शासन ने स्थगित कर दिया था। तब से स्तिथि बरकरार है। वहीं वान से पेयजल के लिए पानी देने का विरोध भी लगातार जारी है। इस बीच जलापूर्ति के डीपीआर मंजूरी को लेकर 25 अप्रैल को मुंबई में सुकाणू समिति की बैठक हुई। इस बैठक में वान बांध से पानी मिलने में आ रही रूकावटों के मद्देनजर जीगांव प्रकल्प पर भी चर्चा की गई।

जीगांव को लेेकर भी मनपा आयुक्त की ओर से रिपोर्ट पेश की गई, लेकिन समिति ने जीगांव प्रकल्प के जलस्त्रोत के साथ अलग डीपीआर पेश करने की सूचना की। जब तक जलस्त्रोत निश्चित नहीं होता तब तक डीपीआर को मंजूरी मिलना मुश्किल है। इस बैठक को दो माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन शेगांव के सिंचाई विभाग ने पानी आरक्षण को हरी झंडी नहीं दी। मनपा ने 48 दलघमी पानी आरक्षण की मांग रखी, लेकिन प्रकल्प अधिकारी 15 या 20 दलघमी पानी आरक्षित करना संभव होने की बात कर रहे है। बैठकों का दौर चल रहा है। वहीं दगड़पारवा से भी पानी आरक्षण का मसला उलझा हुआ है। इस प्रकार डीपीआर मंजूरी के लिए ही कई महीने लग रहे है। वहां योजना का काम कब शुरू होगा? यह सवाल खड़ा हो रहा है।


Created On :   7 July 2023 7:16 PM IST

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