इस वजह से पेट्रोल और डीजल को रखा गया है GST से बाहर
- पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों ने आम नागरिकों को बेहद परेशान कर रखा है
- हर कोई तेजी से बढ़ती ईंधन की कीमतों का विरोध करता नजर आ रहा है।
- GST यानि वस्तु एवं सेवा कर के अंतर्गत लगभग सभी तरह के उत्पाद आते हैं
- लेकिन पेट्रोल
- डीजल और शराब को इस कर व्यवस्था से बाहर रखा गया है।
- अगर सरकार पेट्रोल-डीजल को GST में शामिल कर इन पर कमीशन लगाएगी तो कीमतों में 100 फीसदी तक उछाल आएगा
- जिसका असर जनता की जेब पर पड़ेग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों ने आम नागरिकों को बेहद परेशान कर रखा है, हर कोई तेजी से बढ़ती ईंधन की कीमतों का विरोध करता नजर आ रहा है। इस तरह बेहिसाब बढ़े मूल्यों ने लोगों को परेशान कर रखा है, ऐसे में यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि पेट्रोल और डीजल को GST (वस्तु एवं सेवा कर) के दायरे में क्यों नहीं लाया जा रहा है।
क्यों अलग है पेट्रोल और डीजल दूसरे उत्पादों से
GST यानि वस्तु एवं सेवा कर के अंतर्गत लगभग सभी तरह के उत्पाद आते हैं, लेकिन पेट्रोल, डीजल और शराब को इस कर व्यवस्था से बाहर रखा गया है। दरअसल पेट्रोल, डीजल और शराब पर एक्साइज ड्यूटी लगती है, जिससे सरकार को राजस्व में अधिक लाभ होता है और आर्थिक मजबूती मिलती है, लेकिन अगर इन्हें GST के दायरे में लाया जाएगा तो सरकार के राजस्व में भारी कमी आ जाएगी।
केंद्र सरकार, पेट्रोल पर निश्चित 19.48 रूपए और डीजल पर 15.33 रूपए लेती है और अगर दोनों करों को मिला दिया जाए तो यह कुल कीमत के 60 फीसदी आता है। अगर सरकार पेट्रोल-डीजल को GST में शामिल कर इन पर कमीशन लगाएगी तो कीमतों में 100 फीसदी तक उछाल आएगा, जिसका असर जनता की जेब पर पड़ेगा।
कीमतों पर पड़ेगा दुष्प्रभाव
अगर सरकार लोगों की मांग को मानकर पेट्रोल-डीजल पर भी GST लगाती है, तो यह राज्य सरकारों की राजनीति और राजस्व के लिए घातक साबित होगा। जो राज्य पेट्रोल-डीजल पर कम वैट वसूलते हैं, वहां पर ईंधन की कीमतें आसमान छुएंगी और सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ेगा। ऐसे में अपने राजस्व की पूर्ती करने के लिए सरकार द्वारा फिर कीमतों में इजाफा किया जाएगा, जिसका सीधा बोझ आम जनता पर पड़ेगा।
राज्य सरकारों में होगा विरोध
पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाना सरकार विरोधी साबित हो सकता है, क्योंकि बढ़ी हुई कीमतों पर सरकार को जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा। जिन राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर वैट पहले से ही ज्यादा है, वहां इसका प्रभाव कम होगा, लेकिन अंडमान जैसे राज्य जो 6 प्रतिशत वैट वसूलते हैं, सीधे जनता के निशाने पर आ जाएंगे। ऐसे में अलग अलग राज्य की सरकारों में सामंजस्य बनाना काफी मुश्किल हो जाएगा। तमिलनाडु सरकार ने तो पहले ही एक्साइज और वैट घटाने के प्रस्ताव के विपरीत बोलना शुरू कर दिया है और यह साफ कर दिया है कि हम इसका कतई समर्थन नहीं करेंगे। गौरतलब है कि सोमवार को पेट्रोल 84 प्रति लीटर और डीजल 74 रूपए प्रति लीटर पर पहुंच गया था। जिसके बाद सरकार जनता के साथ विपक्ष के निशाने पर आ गई है।
Created On :   22 May 2018 7:01 PM IST