Approval: अमेरिका ने भारत की चार प्रमुख दवा कंपनियों को मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी के लिए मंजूरी दी
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डिजिटल डेस्क, मुंबई। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर (USFDA) ने बीते दस दिनों में भारत की चार प्रमुख दवा कंपनियों को उनकी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी के लिए मंजूरी दी है। ये फैसला ऐसे समय में आया है जब कोविड-19 महामारी के कारण सप्लाई चेन प्रभावित हुई है जो पूरी दुनिया में दवा की कमी का कारण बन गया है।
ल्यूपिन और डॉ. रेड्डी को मिली मंजूरी
अमेरिका में तीसरी सबसे बड़ी जेनेरिक दवा आपूर्तिकर्ता ल्यूपिन और डॉ. रेड्डी लेबोरेटरीज ने सोमवार को इस्टैब्लिशमेंट इंस्पेक्शन रिपोर्ट (ईआईआर) रिसीव की। ये रिपोर्ट इन कंपनियों की मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के अमेरिकी दवा नियामक की जांच को बंद करने का संकेत है। महाराष्ट्र के नागपुर में मौजूद ल्यूपिन की मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी इस वर्ष जनवरी में हुए यूएसएफडीए के इंस्पेक्शन के आधार पर क्लीयर की गई है।
क्या कहा ल्यूपिन और डॉ. रेड्डी ने?
ल्यूपिन के प्रबंध निदेशक निलेश गुप्ता ने कहा, "हमें अपनी नागपुर मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी के लिए ईआईआर प्राप्त करने की बहुत खुशी है। वहीं हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी ने कहा कि कंपनी को तेलंगाना के मिरियालागुड़ा में अपने सक्रिय दवा संयंत्र 5 के लिए ईआईआर मिला है। इस खबर के सामने आने के बाद सोमवार को बेंचमार्क सेंसेक्स में 1.5% की गिरावट के बावजूद बीएसई पर ल्यूपिन के शेयरों में लगभग 5% की तेजी देखी गई। डॉ. रेड्डी के शेयर भी करीब 3.5% बढ़कर बंद हुए।
पिछले हफ्ते स्ट्राइड्स फार्मा को भी मिली थी मंजूरी
पिछले हफ्ते, बेंगलुरु स्थित स्ट्राइड्स फार्मा ने कहा था कि यूएसएफडीए ने मार्च में निरीक्षण के बाद उनकी सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी को मंजूरी दे दी। बेंगलुरू के इस प्लांट में टैबलेट, कैप्सूल, मलहम, क्रीम, लिक्विड और कॉम्प्लेक्स जेनेरिक सहित फिनिश्ड डोसेज फॉर्मूलेशन के निर्माण की क्षमता है। बेंगलुरु की एक अन्य कंपनी बायोकॉन को भी यूएसएफडीए ने मंजूरी दी है। बायोकॉन के मलेशिया स्थित उनके इंसुलिन प्लांट को ये मंजूरी मिली है।
अमेरिकी बाधाओं के चलते कंपनियों को बड़ा नुकसान
भारत के बड़े जेनेरिक दवा निर्माताओं को USFDA की मंजूरी नहीं मिलने के चलते राजस्व में गिरावट का सामना करना पड़ रहा था। इससे उनकी मार्केट वैल्यू में गिरावट देखी गई। भारतीय फार्मा कंपनियों को पिछले 12 महीनों में अपने मार्केट कैप में लगभग एक बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।
कई देशों में दवा सप्लाई प्रभावित
इस बीच, कई देशों में लॉकडाउन के कारण महत्वपूर्ण दवाओं की सप्लाई प्रभावित हुई है। दवाओं के कंटेनर एययपोर्ट और बंदरगाहों पर फंस गए है। ऐसे में लाइफ सेविंग दवाओं की सप्लाई के लिए डिप्लोमेटिक प्रयास किए जा रहे हैं। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन भी ऐसी ही एक दवा है जिसका उपयोग मलेरिया के लिए किया जाता है लेकिन अब जिस कोरोनावायरस से पूरी दुनिया जूझ रही है उसके लिए भी इस दवा का उपयोग किया जा रहा है।
IPCA से हटा इंपोर्ट बैन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मांगी थी जिसके बाद यूएसएफडीए ने इस दवा को बनाने वाली एक कंपनी IPCA पर से इंपोर्ट बैन हटा दिया। यूएसएफडीए की वेबसाइट से पता चलता है कि कई इंजेक्शन, एंटी-इंफेक्टिव और क्रिटिकल केयर में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की शॉर्टेज हो गई है जिसकी भारतीय जेनेरिक कंपनियां आपूर्ति करती है।
Created On :   14 April 2020 8:37 PM IST