मध्यप्रदेश की मंडियों में हड़ताल, धरने पर उत्तर प्रदेश के कारोबारी
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- मध्यप्रदेश की मंडियों में हड़ताल
- धरने पर उत्तर प्रदेश के कारोबारी
नई दिल्ली, 24 सितम्बर (आईएएनएस)। कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) द्वारा संचालित मंडियों में मंडी-शुल्क कम करने की मांग को लेकर मध्यप्रदेश में कारोबारी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर हैं और उत्तर प्रदेश में भी व्यापारियों का धरना-प्रदर्शन जारी है।
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि से जुड़े विधेयकों को संसद की मंजूरी मिलने के बाद देशभर में एपीएमसी मंडियों के व्यापारी मंडीशुल्क कम करने व समाप्त करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि विधेयक में मंडी के बाहर कृषि उत्पादों के विपणन पर कोई शुल्क नहीं है।
मध्य प्रदेश की करीब 270 कृषि उपज मंडियों के कारोबारी गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। मध्यप्रदेश की नीमच मंडी के व्यापारी पीयूष गोयल ने फोन पर आईएएनएस को बताया कि मंडी में अनिश्चितकालीन हड़ताल है और व्यापारी मंडी शुल्क कम करने की मांग कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश की मंडियों में कृषि उत्पादों के विपणन पर 1.70 फीसदी शुल्क लगता है, जिसमें 0.20 फीसदी निराश्रित शुल्क है।
मध्यप्रदेश में सकल अनाज दलहन-तिलहन व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, हमारी मांग है कि सरकार निराश्रित शुल्क समाप्त करे और मंडी शुल्क 1.50 फीसदी से घटाकर 0.50 फीसदी करे।
उन्होंने कहा कि मंडी शुल्क घटने से मंडियों में कारोबार पर ज्यादा असर नहीं होगा।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर मंडी के कारोबारी अशोक अग्रवाल ने बताया कि कारोबारी एमपीएमसी मंडियों मे लगने वाले 2.50 फीसदी शुल्क को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं और इसको लेकर पूरे प्रदेश में व्यापारी धरना दे रहे हैं।
उधर, राजस्थान में मंडी के कारोबारियों ने प्रदेश सरकार को मंडीशुल्क समाप्त करने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटल देने का फैसला लिया है। मध्यप्रदेश खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने आईएएनएस को बताया कि व्यापारियों ने फैसला लिया है कि वे अब मंडीशुल्क नहीं देंगे और इस बाबत वह प्रदेश सरकार को एक पत्र भेजने जा रहे हैं, जिसमें 15 दिनों के भीतर मंडी शुल्क समाप्त करने की मांग की जा रही है।
राजस्थान में अनाज और दलहन पर 1.60 फीसदी मंडीशुल्क है, जबकि मोटा अनाज पर 0.50 फीसदी और तिलहनों पर एक फीसदी मंडीशुल्क है। मंडीशुल्क के अलावा कृषि उत्पादों के विपणन पर सरकार की ओर से एक फीसदी कृषक कल्याण उपकर लिया जाता है।
कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों -- कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को भी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे।
पीएमजे
Created On :   24 Sept 2020 3:30 PM IST