एयर इंडिया: एयरलाइन के ऑपरेशन बंद होने की खबरों को लोहानी ने बताया निराधार
- एयर इंडिया की उड़ान जारी रहेगी और इसका विस्तार भी होगा - लोहानी
- एयरलाइन पर लगभग 60
- 000 करोड़ रुपये का कर्ज है
- लोहानी ने एयरलाइन के ऑपरेशन बंद होने की खबरों को निराधार बताया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एयर इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अश्विनी लोहानी ने एयरलाइन के ऑपरेशन बंद होने की खबरों को निराधार बताया है। इससे पहले खबरें आ रही थी कि कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया अगले साल जून तक अपने ऑपरेशन बंद कर सकती है।
एयर इंडिया की उड़ान जारी रहेगी
अश्विनी लोहानी ने ट्वीट कर कहा, "एयर इंडिया को बंद करने या ऑपरेशन बंद करने की अफवाहें निराधार हैं। एयर इंडिया की उड़ान जारी रहेगी और इसका विस्तार भी होगा। यात्रियों, कॉरपोरेट या एजेंटों के लिए चिंता का कोई कारण नहीं होना चाहिए। एयर इंडिया नेशनल कैरियर अभी भी सबसे बड़ी एयरलाइन है।"
एयरलाइन पर 60,000 करोड़ का कर्ज
इससे पहले एक अधिकारी ने कहा था कि एयरलाइन पर लगभग 60,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, लेकिन सरकार अभी भी विनिवेश के तौर-तरीकों पर काम कर रही है। यदि जून तक खरीददार नहीं मिला तो एयर इंडिया का हाल भी जेट एयरवेज जैसा हो सकता है। अधिकारी ने कहा था "12 विमानों को दोबारा उड़ाने के लिए भी फंड की जरूरत है। टुकड़ों में व्यवस्था से अधिक दिन तक काम नहीं चलेगा।"
उन्होंने कहा था, "हमने ऑपरेशनल जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार से 2,400 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी मांगी थी, लेकिन सरकार ने सिर्फ 500 करोड़ रुपये के लिए गारंटी दी। ऐसी सूरत में हम जून तक इस स्थिति को बनाये रख सकते हैं। यदि इसके बाद भी कोई खरीदार नहीं मिला तो हमें ऑपरेशन बंद करने पड़ेंगे।"
2017 में मिली थी विनिवेश की मंजूरी
बता दें कि सरकार ने 2017 में एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी थी, केंद्र सरकार ने कहा था कि एयर इंडिया के विनिवेश के लिए बोली लगाई जाएगी। इसके लिए सरकार ने बाकायदा अर्नेस्ट एंड यंग को ट्रांजैक्शन एडवायजर के तौर पर नियुक्त किया था। लेकिन किसी भी कंपनी ने खरीद में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके बाद भी सरकार ने विनिवेश की कोशिश जारी रखी लेकिन अभी तक सरकार को इसमें सफलता नहीं मिल पाई है।
केंद्र सरकार ने 2007 में एयर इंडिया में इंडियन एयरलाइंस का विलय किया था जिसके बाद से एयर इंडिया के बुरे दिन शुरू हुए। दोनों कंपनियों के विलय के वक्त संयुक्त घाटा 770 करोड़ रुपये था, जो विलय के बाद बढ़कर के 7200 करोड़ रुपये हो गया। एयर इंडिया ने घाटे की भरपाई के लिए अपने तीन एयरबस 300 और एक बोइंग 747-300 को 2009 में बेच दिया था।
Created On :   4 Jan 2020 9:38 PM IST