खुदरा महंगाई दर में मामूली गिरावट, जुलाई माह में घटकर हुई 3.15%
- खुदरा महंगाई दर के जुलाई माह के आंकड़े मंगलवार को जारी किए गए
- CPI आधारित महंगाई दर जुलाई 2019 में 3.18 से घटकर 3.15% पर पहुंच गई
- सब्जी
- ईंधन और बिजली के दामों में कमी के चलते इसमें मामूली गिरावट देखी गई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। खुदरा महंगाई दर के जुलाई माह के आंकड़े मंगलवार को जारी किए गए। सब्जी, ईंधन और बिजली के दामों में कमी के चलते खुदरा महंगाई दर में मामूली गिरावट देखी गई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर जुलाई 2019 में घटकर 3.15% पर पहुंच गई। जून महीने में यह 3.18 प्रतिशत थी। सेंट्रल स्टेटस्टिक्स ऑफिस ने ये आंकड़े जारी किए हैं।
मंगलवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर फूड प्राइज इंडेक्स जून के 2.17% के मुकाबले जुलाई में बढ़कर 2.36% पर पहुंच गया है। ईंधन और बिजली की महंगाई दर जून के 2.32% के मुकाबले घटकर 0.36% हो गई। हाउसिंग इन्फ्लेशन जून में 4.84% था जो जुलाई में बढ़कर 4.87% पर पहुंच गया। सब्जियों की महंगाई दर 4.66% से घटकर 2.82% हो गई। जून के 1.52% की तुलना में जुलाई में कपड़ों और जूतों की महंगाई दर बढ़कर 1.65% हो गई। दलहन की महंगाई दर 5.68% के मुकाबले बढ़तक 6.82% हो गई।
रिटेल इन्फ्लेशन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के कंफर्ट लेवल से काफी नीचे है। सरकार ने केंद्रीय बैंक से इन्फ्लेशन को 4 प्रतिशत के दायरे में रखने को कहा है। आरबीआई इन्फ्लेशन को नियंत्रित करने के लिए मॉनिटरी पॉलिसी का उपयोग करता है। इससे पहले अगस्त में अपनी आखिरी बाइमंथली मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग में केंद्रीय बैंक ने इस साल चौथी बार रेपो दर को घटाकर 5.4% कर दिया था। रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर RBI, कमर्शियल बैंकों को उधार देता है।
क्या होता है CPI इंडेक्स?
CPI यानि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक। यह रिटेल महंगाई का इंडेक्स है। रिटेल महंगाई वह दर है, जो जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। यह खुदरा कीमतों के आधार पर तय की जाती है। भारत में खुदरा महंगाई दर में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी की करीब 45% है। दुनिया भर में ज्यादातर देशों में खुदरा महंगाई के आधार पर ही मौद्रिक नीतियां बनाई जाती हैं।
Created On :   14 Aug 2019 12:38 AM IST