आपके घर की बची हुई EMI ऐसे हो सकती है कम, जानें GST का ये नया नियम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर किसी का अपने घर का सपना होता है, लेकिन सपनों का ये घर लंबे समय और आपकी कड़ी मेहनत से बनता है। दरअसल कई बार घर खरीदी के लिए लोन आसानी से मिल जाता है, लेकिन इसे चुकाना मुश्किल होता है। वहीं कई बार बिल्डर आपको सही जानकारी ना देकर आपके सपनों के आशियाने की कीमत को बढ़ा देते हैं। यदि आपने भी निर्माणाधीन अपार्टमेंट को बुक किया है और किस्तों का भुगतान कर रहे हैं तो ये खबर आपके लिए है...
यहां आपको बता दें कि जीएसटी काउंसिल ने कुछ समय पहले कुछ शर्तों के साथ घरों पर टैक्स की दर 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी है। ऐसे में आपके अंडर-कंस्ट्रक्शन अपार्टमेंट की बची हुई किस्तों पर जीएसटी की देनदारी घट सकती है। यदि आपका बिल्डर नई व्यवस्था में शिफ्ट करता है तो आपकी ईएमआई पर जीएसटी घटकर 5 फीसदी पर आ जाएगी। नई व्यवस्था के अनुसार जीएसटी काउंसिल ने जो टैक्स दर कम की हैं उनमें किफायती घरों के मामले में 8 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी किया गया है।
ऐसे ही मामलों में अनुमूलन पूछे जाने वाले सवालों पर सरकार ने इस मसले पर सफाई दी है। जिसमें उसने इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ पुरानी जीएसटी दर को चुनने का विकल्प दिया है। ऐसे में बिल्डरों के पास अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट के बचे हुए हिस्से के लिए 5 फीसदी या 1 फीसदी की व्यवस्था में शिफ्ट करने का रास्ता खुला है।
उदाहरण के तौर पर यदि 31 मार्च तक आपने फ्लैट के मूल्य का 40 फीसदी दे दिया है और आपका बिल्डर नई व्यवस्था में जाने का फैसला करता है तभी आप नई दर के विकल्प को चुन सकते हैं। हालांकि, यदि आपका बिल्डर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के साथ बना रहता हे तो सुनिश्चित कर लें कि टैक्स क्रेडिट का फायदा आपको शर्तिया मिले. तभी 12 फीसदी से कम दर का लाभ मिलेगा।
जीएसटी परिषद ने रीयल्टी कंपनियों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ पुरानी जीएसटी दर का विकल्प चुनने की समयसीमा को 10 दिन बढ़ाकर 20 मई कर दिया है। रीयल्टी कंपनियां अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्टों के लिए यह विकल्प चुन सकती हैं। सरकार ने कहा है कि बिल्डरों के लिए वन-टाइम ऑप्शन होगा। यदि 20 मई तक वह अपने विकल्प को नहीं चुनते हैं तो वे अपने आप बगैर ITC की 5 फीसदी की दर वाली व्यवस्था में चले जाएंगे। किफायती घरों के मामलों में यह 1 फीसदी होगी।
हालांकि, सीमेंट, पेंट और स्टील जैसे इनपुट पर टैक्स क्रेडिट के फायदे को वापस लिया गया है। यहां कई मामले ऐसे सामने आए, जिसमें बिल्डर इसका गलत फायदा उठा रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार वे 12 फीसदी की फ्लैट दर से घरों पर टैक्स वसूल रहे थे। फिर इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा ग्राहकों को नहीं देते थे।
Created On :   18 May 2019 4:42 PM IST