मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक: RBI गवर्नर ने किया नतीजों का ऐलान, रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक आज समाप्त हुई। तीन दिनों तक चली इस बैठक के नतीजों का गुरुवार को ऐलान किया गया। बैठक में रेपो रेट को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है। रेपो रेट में बदलाव नहीं होने का मतलब ईएमआई या लोन की ब्याज दरों पर नई राहत नहीं मिलेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया, रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेपो रेट 4 प्रतिशत पर ही स्थिर है वहीं रिवर्स रेपो रेट भी बिना किसी बदलाव के साथ 3.35 प्रतिशत रहेगा।
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— ANI (@ANI) August 6, 2020
शक्तिकांत दास ने कहा, जून में लगातार चौथे महीने भारत के व्यापार निर्यात में कमी आई है। घरेलू मांग में कमी और अंतर्राष्ट्रीय क्रूड तेल के दामों में कमी की वजह से जून महीने में आयात में काफी कमी आई।
...improve the flow of credit, deepen digital payment systems and facilitate innovations by leveraging technology: RBI Governor Shaktikanta Das
— ANI (@ANI) August 6, 2020
रेपो रेट ब्याज की वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि ऋण देता है। वहीं, रिवर्स रेपो रेट वह ब्याज दर है जिसपर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों से अल्पावधि की उधारी लेता है। रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट ये दोनों केंद्रीय बैंक के ऐसे उपकरण हैं जिनके माध्यम से तरलता और महंगाई पर नियंत्रण करने में सहूलियत मिलती है।
आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में मौद्रिक नीति सीमति (एमपीसी) ने मौजूदा रेपो रेट चार फीसदी को बरकरार रखने पर सहमति जताई। एमपीसी के समायोजी रुख बरकरार रखने की सहमति जताने से आनेवाले दिनों में रेपो रेट में और कटौती की संभावना बनी हुई है। इसी प्रकार मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) रेट और बैंक रेट भी पूर्ववत 4.25 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, एमपीसी ने घरेलू व वैश्विक हालात की पड़ताल पर देश और दुनिया पर इनके प्रभावों का मूल्यांकन किया।
उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श के बाद एमपीसी ने सर्वसम्मति से नीतिगत प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट को चार फीसदी पर स्थिर रखने के पक्ष में सहमति जताई। साथ ही आर्थिक विकास में सुधार लाने, कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए जब तक आवश्यक हो समायोजी रुख बरकरार रखने का फैसला लिया, बशर्ते महंगाई दर लक्ष्य के भीतर बनी रहे।
बता दें कि जून में खुदरा महंगाई दर 6.09 फीसदी रही। आंकड़ों के अनुसार, खुदरा महंगाई दर चार फीसदी लक्ष्य के ऊपरी सीमा तक पहुंच गई। महंगाई दर का लक्ष्य दो फीसदी कमी या वृद्धि के साथ चार फीसदी रखी गई है।
Created On :   6 Aug 2020 7:09 AM GMT