ऊंचे ओहदे और लाखों के पैकेज छोड़ चार दोस्तों ने खोला डेयरी फॉर्म, 10 साल में खड़ी कर दी 225 करोड़ की कंपनी

Leaving the high position and the package of lakhs, four friends opened a dairy farm, raised a company of 225 crores in 10 years
ऊंचे ओहदे और लाखों के पैकेज छोड़ चार दोस्तों ने खोला डेयरी फॉर्म, 10 साल में खड़ी कर दी 225 करोड़ की कंपनी
झारखंड ऊंचे ओहदे और लाखों के पैकेज छोड़ चार दोस्तों ने खोला डेयरी फॉर्म, 10 साल में खड़ी कर दी 225 करोड़ की कंपनी
हाईलाइट
  • धीरे धारे मिली बड़ी कामयाबी

डिजिटल डेस्क, रांची। चार्टर्ड अकाउंटेंसी की डिग्रियां, कॉरपोरेट कंपनियों में ऊंचे ओहदे, लाखों का पैकेज, बेहतरीन करियर की संभावनाएं। तीन दोस्तों ने यह सब कुछ एक झटके में छोड़कर जब डेयरी खोलने का फैसला किया था तो उन्हें जानने वाले हर किसी ने यही कहा था कि इसमें जोखिम बहुत है। किसी ने कहा कि अगर आइडिया फेल हो गया तो करियर डूब जायेगा। किसी ने नसीहत दी कि निश्चित को छोड़कर अनिश्चित की ओर नहीं जाना चाहिए। लेकिन उन्होंने सिर्फ अपने दिल की सुनी और कुछ बड़ा करने के हौसले के साथ एक नये रास्ते पर निकल पड़े।

एफएमसीजी कारोबार से जुड़े चौथा दोस्त भी उनके साथ इसी राह पर आ गया था। जैसा कि सबने कहा था, शुरूआती वर्षों में यह रास्ता बेहद मुश्किल भरा रहा। पहले ही महीने में लगभग आधी पूंजी डूब गई और वे दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गये। इसके बाद भी जिद ऐसी थी कि पहली बार नौकरी छोड़ने, दूसरी बार नुकसान का तगड़ा झटका खाने के बाद तीसरी बार आगे बढ़े और फिर कामयाबी की एक ऐसी कहानी रच दी, जिसकी चर्चा अब देश-दुनिया में होती है। यह कहानी है झारखंड के चार दोस्तों की, जिनकी साझेदारी से स्थापित हुई ऑसम डेयरी पिछले 10 सालों में 225 करोड़ से भी ज्यादा के टर्नओवर वाली कंपनी बन गई है।

कंपनी इसी साल अप्रैल में दस साल पूरे कर लेगी और बिहार-झारखंड के बाद अब इसने जल्द ही पश्चिम बंगाल में कारोबार के विस्तार की योजना बनाई है। आज कंपनी में 450 स्टाफ हैं। इसके अलावा कंपनी में रोजाना के काम से जुड़े एक हजार लोग नियोजित हैं। ऑसम डेयरी बिहार-झारखंड दोनों राज्यों से प्रतिदिन लगभग 20 हजार किसानों-पशुपालकों से दूध खरीदती है। दूध और डेयरी उत्पादों के सप्लाई चेन से लगभग 250 डिस्ट्रिब्यूटर और 8 हजार से ज्यादा रिटेल विक्रेता जुड़े हैं। इस तरह ऑसम डेयरी के जरिए आज लगभग 30 हजार लोगों के पास रोजगार है।

अभिनव शाह, राकेश शर्मा, अभिषेक राज और हर्ष ठक्कर की दोस्ती कॉलेज की पढ़ाई के दौरान हुई थी। चारों ने नौकरी और व्यवसाय के दौरान की गई बचत के पैसे मिलाकर एक करोड़ की पूंजी जुटाई। अप्रैल 2012 में रांची के पास ओरमांझी में एक एकड़ जमीन खरीदकर डेयरी फार्म शुरू किया गया। डेयरी फार्मिंग की बारीकियां सीखने-जानने के लिए अभिनव शाह ने कानपुर जाकर एक महीने की ट्रेनिंग ली। वह बताते हैं कि शुरूआत में पंजाब के खन्ना से हमलोगों ने होल्स्टीन फ्राइजि़यन नस्ल की 40 गायें खरीदीं। काम शुरू होता कि पहले ही महीने उन्हें जोरदार झटका लगा। संक्रमण की वजह से 40 में से 26 गायों ने दम तोड़ दिया। हर रोज गायों की मौत ने उनका दिल तोड़ दिया। अभिनव कहते हैं कि गाय को हमारी धर्म-संस्कृति में माता मानते हैं। ऐसे में हम बेहद उदास थे, लेकिन हमें पता था कि हारकर बैठ गये तो हमेशा के लिए हार जायेंगे।

इसके बाद हमने अगले ही महीने बैकअप प्लान के 50 लाख रुपये फिर जुटाये। इस बार बिहार से गायें खरीदीं और घर-घर दूध वितरण का काम शुरू किया। शुरूआत में हर रोज 300 लीटर दूध का उत्पादन शुरू हुआ जो अगले छह महीने में एक हजार लीटर तक पहुंच गया। पहले डेयरी का यह कारोबार राया नाम से शुरू किया गया था, लेकिन बाजार में दूध की बिक्री किसी ब्रांड के नाम से नहीं की जाती थी। सात-आठ लोग रखे गये थे, जो रांची के तीन इलाकों में घर-घर जाकर दूध पहुंचाते थे। पहले साल का टर्नओवर लगभग 26 लाख रहा।

नवंबर 2013 में एक वित्त कंपनी से फंडिंग लेकर काम आगे बढ़ा और मार्च 2015 में बिहार के बरबीघा में पहला मिल्क चिलिंग प्लांट लगाया गया। इससे 40 गांवों के पशुपालक और दूध उत्पादक जुड़े। फिर दो महीने बाद मई में रांची से 35 किलोमीटर दूर पतरातू में 50 हजार लीटर क्षमता वाला पहला प्रोसेसिंग और पैकेजिंग प्लांट लगाया गया। एक साल में प्रतिदिन लगभग 25 हजार लीटर दूध का वितरण होने लगा। इसके बाद जमशेदपुर के पास चांडिल में 80 हजार लीटर की क्षमता वाला दूसरा और बिहार के आरा जिले में तीसरा प्रोसेसिंग और पैकेजिंग प्लांट स्थापित हुआ। इस बीच कंपनी की शुरूआत करने वाले चार में से दो दोस्तों ने निजी वजहों से अपनी राह अलग कर ली।

दूध के बाद कंपनी ने दही, छाछ, पेड़ा, पनीर और रबड़ी जैसे प्रोडक्ट्स भी उतारे हैं। इसके अलावा जल्द ही सालसा रायता नामक खास प्रोडक्ट लांच करने की तैयारी चल रही है। आज की तारीख में कंपनी हर रोज लगभग एक लाख 20 हजार लीटर दूध और 30 हजार लीटर मिल्क प्रोडक्ट्स प्रतिदिन बेचती है। कंपनी को एंटरप्रेन्योरशिप के लिए कई अवार्ड मिले हैं और उनके बिजनेस मॉडल की चर्चा देश-विदेश के बिजनेस स्कूलों में भी होती है।

कंपनी के डायरेक्टर अभिनव आईएएनएस के साथ संघर्ष और सफलता की कहानी साझा करते हुए बताते हैं कि जब कभी निराशा ने घेरा तो मां उमा शाह सहित घर के सभी सदस्यों और मित्रों ने मानसिक संबल प्रदान किया। वह कहते हैं कि इस एक दशक का सबसे बड़ा सबक यह रहा कि किसी भी काम में अचानक सफलता नहीं मिलती। असफलताएं ही हमारा मार्गदर्शन करती हैं। खुद पर भरोसा रखें और मेहनत में कमी न छोड़ें तो अंधकार चाहे जितना भी घना हो, आखिरकार रोशनी का सिरा हम पकड़ ही लेते हैं।

 

(आईएएनएस)

Created On :   6 March 2022 10:00 AM IST

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