Analytic: सरकार जानबूझकर कम नहीं कर रही कीमत, जानिए तेल का पूरा खेल
- अगर पेट्रोल की कीमतें कम करनी है तो केंद्र को एक्साइज़ ड्यूटी और राज्य सरकार को वैट पर कटौती करनी होगी।
- अर्थशास्त्रियों के मुताबिक इस कटौती से सरकार के राजकोष पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यानी सरकार को घाटे और महंगाई के जोखिम के बीच संतुलन बनाना होगा।
- केंद्र सरकार 19.48 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल पर और 15.33 रुपये प्रति लीटर डीजल पर एक्साइज़ ड्यूटी लगाती है
- देश में लगातार बढ़ रही पेट्रोल-डीजल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में लगातार बढ़ रही पेट्रोल-डीजल की कीमतों के कारण जनता के बीच गुस्सा और निराशा भी बढ़ती जा रही है। पिछले 9 दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। मुंबई में पेट्रोल सबसे महंगा 84.99 रुपये में बिक रहा है, जबकि बुधवार को राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 76.87 रुपए के स्तर पर पहुंच गई। मगर आज हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह केंद्र और राज्य सरकारें बड़ी दर पर VAT और एक्साइज ड्यूटी लगाकर "तेल का खेल" खेल रही हैं।
बता दें कि पिछले 4 वर्षों में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 120% से अधिक और डीजल पर 400% से अधिक की वृद्धि हुई है।
25 रुपए कम हो सकती है पेट्रोल की कीमत
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी मोदी सरकार पर हमला बोला है। चिंदबरम ने कहा कि अगर मोदी सरकार चाहे तो पेट्रोल की कीमत 25 रुपए तक कम की जा सकती है, मगर मोदी सरकार ऐसा नहीं करेगी। उनका दावा है कि पेट्रोल की कीमत में 25 रुपए तक की कटौती आसानी से की जा सकती है। चिदंबरम ने "तेल का खेल" समझाते हुए कहा कि केंद्र सरकार हर एक लीटर पेट्रोल पर 25 रुपये ले रही है, यह सीधे तौर पर नागरिकों का पैसा है।
ऐसे कम हो सकती हैं कीमतें
केंद्र सरकार 19.48 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल पर और 15.33 रुपये प्रति लीटर डीजल पर एक्साइज़ ड्यूटी लगाती है। सरकार के पास विकल्प है कि वो पेट्रोल, डीजल पर लगाई जा रही एक्साइज़ ड्यूटी (उत्पाद शुल्क) को कम करे। वैट की दरें अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं।
- बता दें कि तेल की खरीद के बाद भारत लाने में ढुलाई देना होता है
- फिर भारतीय तटों से इसे (आईओसी, बीपीसीएल जैसी कंपनियों की) रिफाइनरी में पहुंचाने में खर्च होता है
- इसके बाद कंपनी इसे प्रोसेस करने के बाद पेट्रोल, डीजल की शक्ल में डीलर्स (पेट्रोल पंप) तक पहुंचाती है
- केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और डीलर अपना कमीशन जोड़ते हैं जबकि राज्य सरकारें वैट लगाती हैं
- डीलर के पास पहुंचने पर पेट्रोल की कीमत करीब 37.65 रुपये प्रति लीटर होती है
- केंद्र सरकार इसपर 19.48 रुपये एक्साइज़ ड्यूटी लगाती है
- डीलर अपना कमीशन (दिल्ली में 3.63 रुपये) जोड़ते हैं
- राज्य सरकारें वैट (महाराष्ट्र में वैट 46.52%, केरल में यह 34% और गोवा में 17%) लगाती हैं
सरकार कीमतें बढ़ने को लेकर दो तर्क दे रही है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमत और डॉलर के मुक़ाबले कमजोर होता रुपया, लेकिन उंची कीमत की सबसे बड़ी वजह इस पर लगाया जाने वाला सरकारी टैक्स है।
हर एक राज्य भी अपनी अलग-अलग दर के साथ पेट्रोल और डीजल पर VAT टैक्स लगाता है। जैसा की आपको आसानी से समझाने के लिए हमने ग्राफिक्स का सहारा लिया है। इस ग्राफिक्स के जरिए साफ दर्शाया गया है कि किस तरह प्रत्येक राज्य पेट्रोल और डीजल अलग-अलग VAT टैक्स लगाता है। आप पेट्रोल पर लगाए गए VAT को समझने के लिए मैप में देख सकते हैं कि गहरे लाल रंग से रंगित राज्य ने लगभग 35 प्रतिशत से अधिक VAT लगाया है। केसरिया रंग का मतलब है कि उस राज्य ने पेट्रोल पर 30 से 35 प्रतिशत के बीच की दर पर ही VAT लगाया है। ऐसे ही आप डीजल की कीमत पर लगाए गए VAT को भी समझ सकते हैं।
इस तरह मंहगा होता है पेट्रोल और डीजल (मई 2018 के अनुसार)
- देश में क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) की कीमत करीब 31 रुपए तक आती है।
- एंट्री टैक्स, रिफायनरी प्रोसेसिंग आदि मिलाकर 2.62 रुपए पेट्रोल पर और डीजल पर 5.91 रुपए तक एक्स्ट्रा चार्ज लगता है।
- इसके बाद OMC मार्जिन और ट्रांसपोर्टेशन मिलाकर पेट्रोल पर 3.31 रुपए और डीजल पर 2.87 चार्ज लगता है।
- यहां रिफायनरी के बाद पेट्रोल 36.93 रुपए और डीजल की कीमत 39.78 रुपए प्रति लीटर हो जाती है।
- इस पर एक्साइज ड्यूटी और केंद्र सरकार द्वारा रोड टैक्स पेट्रोल पर 19.48 रुपए और डीजल पर 15.33 रुपए लगाया जाता है।
- अब VAT लगाने से पहले डीलर को पेट्रोल 56.41 रुपए और डीजल 55.11 रुपए की कीमत पर दिया जाता है।
- इस पर पेट्रोल पंप डीलर अपना कमीशन चार्ज करता है, जो पेट्रोल पर 3.62 और डीजल पर 2.52 रुपए तक होता है।
- अब तक VAT को हटाकर पेट्रोल 60.03 रुपए और डीजल की कीमत 57.63 रुपए प्रति लीटर तक हो जाती है।
- यहां से हर एक राज्य अपना VAT टैक्स लगाता है, जिसके कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतें काफी बढ़ जाती हैं। राजधानी दिल्ली में पेट्रोल पर 16.34 रुपए और डीजल पर 10.02 रुपए प्रति लीटर VAT लगाया जा रहा है।
IOC द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा के अनुसार उपभोक्ताओं से लिए जाने वाले पैसे में कुल डीजल कीमत का लगभग 42 प्रतिशत और पेट्रोल कीमत का 52 प्रतिशत टैक्स शामिल है।
सरकार ने अप्रैल 2014 से जनवरी 2016 तक लगातार 10 बार एक्साइज ड्युटी बढ़ाई है। जबकि अक्टूबर 2017 में ही मात्र एक बार 2 रुपए कीमत प्रति लीटर पर घटाई थी।
पिछले 15 महीनों में पेट्रोल की कीमत 11.77 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमतों में 13.47 रुपए प्रति लीटर तक की बढ़ोत्तरी हुई।
सरकार ने 2014-15 में 99,000 करोड़ राजस्व प्राप्त किया था, जबकि पिछले साल 2016-17 में सरकार ने दोगुने से ज्यादा 2,42,000 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया।
तेल का खेल ऐसे समझिए
- ईंधन जरूरतों की पूर्ति के लिए भारत 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है
- अप्रैल (2018) में भारत ने 4.51 मिलियन बैरल कच्चे तेल की खरीदारी की है
- पिछले साल की तुलना में 2.5 फ़ीसदी अधिक है
- भारत में ईंधन के आयात का अधिकांश हिस्सा पश्चिम एशियाई देशों से आता है
- भारत इराक़ से सबसे ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है
- अप्रैल में भारत ने वहां से 6,40,000 बैरल प्रति दिन के हिसाब से कच्चा तेल ख़रीदा है
- ईरान से तेल आयात करने वाला भारत चीन के बाद सबसे बड़ा देश है
तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर लोगों में गुस्सा तो दिख ही रहा है, वहीं इस मामले पर इंडियन ऑयल के चेयरमैन संजीव सिंह का भी बयान आया है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय तेल बाज़ार में दामों में हो रही बढ़ोत्तरी को देखते हुए फिलहाल राहत की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि फिलहाल इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है कि तेल की कीमतें कब घटेंगी। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
ऐसे में सरकार पर आम आदमी को राहत देने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। बता दें कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद पेट्रोलियम पदार्थों पर एक्साइज़ ड्यूटी को कई बार बढ़ाया लेकिन इसे सिर्फ एक बार घटाया गया। उद्योग संघ फिक्की ने रिसर्च में बताया कि, नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच जब अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सस्ता था, तब सरकार ने एक्साइज़ ड्यूटी को 9 बार बढाया और सिर्फ एक बार घटाया। सरकार ने पेट्रोल पर 11.77 रुपये लीटर और डीजल पर एक्साइज़ ड्यूटी को 13.47 रुपये लीटर तक बढ़ाया लेकिन सिर्फ 2 रुपया घटाया। इसकी वजह से सरकार की झोली में करोड़ो रुपये आए।
अब जब हर तरफ से तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार की आलोचना हो रही है तो सरकार को भी इस मामले में दखल देना होगा। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सरकार इसे लेकर गंभीर है। दो-चार दिन में इसका हल निकाल लिया जाएगा। बता दें कि सोशल मीडिया पर भी मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया यूजर्स पीएम मोदी का एक पुराना वीडियो शेयर कर रहे हैं जिसमें वो कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कह रहे हैं, "ये दिल्ली सरकार की शासन चलाने की नाकामी दिखा रहा है, तेल की बढ़ती कीमतों से अन्य सामान भी महंगे हो जाएंगे। सरकार जल्द इस पर विचार करे।" गौरतलब है कि इंडियन आयल ने मंगलवार को ऐलान किया कि 2017-18 में टैक्स के बाद उसका मुनाफ़ा 21,346 करोड़ रहा।
Created On :   23 May 2018 2:35 PM GMT