खाद्य तेल की महंगाई बेकाबू, एक महीने में 15 फीसदी बढ़ा पाम तेल का दाम
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- खाद्य तेल की महंगाई बेकाबू
- एक महीने में 15 फीसदी बढ़ा पाम तेल का दाम
नई दिल्ली, 10 जनवरी (आईएएनएस)। प्याज की आपूर्ति बढ़ने पर दाम में नरमी आने लगी है, लेकिन खाद्य तेल की महंगाई आसमान छूने लगी है। बीते एक महीने में क्रूड पाम तेल (सीपीओ) के दाम में करीब 15 फीसदी का इजाफा हुआ है। मलेशिया से रिफाइंड पाम तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद शुक्रवार को पाम तेल की कीमत नई ऊंचाई पर चली गई।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर शुक्रवार को सीपीओ के तमाम वायदा सौदों में तेजी रही जबकि जनवरी एक्सपायरी वायदा अनुबंध में सीपीओ का भाव 839.80 रुपये प्रति 10 किलो तक उछला जोकि अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। एक महीने पहले 10 दिसंबर को एमसीएक्स पर सीपीओ का भाव 731.40 रुपये प्रति 10 किलो था। इस प्रकार बीते एक महीने में सीपीओ के दाम में 15 फीसदी का उछाल आया है।
पाम तेल का आयात महंगा होने के कारण सभी खाद्य तेलों में लगातार तेजी बनी हुई है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध खुदरा मूल्य के अनुसार, देश की राजधानी दिल्ली में सरसों तेल के दाम में बीते एक महीने में 12 रुपये प्रति किलो का इजाफा हुआ है। दिल्ली में 10 दिसंबर 2019 को सरसों तेल का दाम 124 रुपये प्रति किलो था जो 10 जनवरी 2020 को 136 रुपये प्रति किलो हो गया। वहीं, पाम तेल का दाम दिल्ली में एक महीने में 91 रुपये से बढ़कर 105 रुपये किलो हो गया है। दिल्ली में सोया तेल का भाव एक महीने में 106 रुपये से बढ़कर 122 रुपये प्रति किलो हो गया है।
वहीं, थोक भाव की बात करें तो जयपुर में कच्ची घानी सरसों तेल का भाव शुक्रवार को 954 रुपये प्रति 10 किलो था जो एक महीने पहले 10 दिसंबर 2019 को 905 रुपये प्रति 10 किलो था। मध्यप्रदेश स्थित बेंचमार्क मंडी इंदौर में 10 जनवरी 2020 को सोया तेल का भाव 945 रुपये प्रति 10 किलो था जोकि एक महीने पहले 10 दिसंबर 2019 को 860 रुपये प्रति 10 किलो था।
रिफाइंड पाम तेल यानी आरबीडी (रिफाइंड ब्लीच्ड एंड ड्यूडराइज्ड) का भाव गुजरात के कांडला पोर्ट पर शुक्रवार को 890 रुपये प्रति 10 किलो था जोकि एक महीने पहले नौ दिसंबर 2019 को 810 रुपये प्रति 10 किलो था। सूर्यमुखी रिफाइंड का भाव कांडला पोर्ट पर 10 जनवरी 2020 को 960 रुपये प्रति 10 किलो था जोकि एक महीने पहले 860 रुपये प्रति 10 किलो था।
मलेशिया में आरबीडी पामोलीन का दाम शुक्रवार को 800 डॉलर प्रति टन (एफओबी) था जबकि एक महीने पहले 10 दिसंबर को मलेशिया में आरबीडी पामोलीन का दाम 710 डॉलर प्रति टन था।
भारत ज्यादातर सोया तेल का आयात अर्जेटीना से करता है जहां नौ दिसंबर 2019 को सोया तेल का भाव 741.25 डॉलर प्रति टन (एफओबी) था जो नौ जनवरी 2020 को बढ़कर 823 डॉलर प्रति टन हो गया।
गौतलब है कि भारत सरकार ने बुधवार को मलेशिया से रिफाइंड पाम तेल आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया, हालांकि क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का आयात मलेशिया से जारी रहेगा।
पिछले तेल-तिलहन सीजन 2018-19 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान भारत ने 149.13 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया, जबकि इससे एक साल पहले 2017-18 के दौरान खाद्य तेल का आयात 145.16 लाख टन हुआ था। कुल वनस्पति तेल (खाद्य एवं अखाद्य तेल) का आयात 2018-19 में 155.49 लाख टन हुआ था जबकि एक साल पहले 2017-18 के दौरान कुल वनस्पति तेल का आयात 150.02 लाख टन हुआ था। वहीं, आरबीडी का आयात 2018-19 में 27.31 लाख टन हुआ था जबकि एक साल पहले आरबीडी का आयात 21.36 लाख टन हुआ था।
ये आंकड़े देसी खाद्य तेल उद्योग सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा संकलित किए गए हैं। तेल-तिलहन बाजार विशेषज्ञ सलिल जैन ने बताया कि खाद्य तेल के दाम में पूरी दुनिया में तेजी आई है और भारत में स्टॉक की कमी की वजह से तेल की महंगाई से फिलहाल राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने आईएएनएस से कहा कि भारत खाने के तेल के लिए मुख्य रूप से आयात पर निर्भर करता है, इसलिए तेल और तिलहनों का घरेलू उत्पादन बढ़ाना वक्त की जरूरत है।
मालूम हो कि खाद्य तेल की अपनी जरूरत का करीब 70 फीसदी आयात करता है।
Created On :   10 Jan 2020 10:01 PM IST