रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स खत्म करेगी सरकार, जानिए क्या होगा वोडाफोन-केयर्न एनर्जी विवाद पर इसका असर?

Centre moves bill in Lok Sabha to bury retrospective tax demands on Cairn, Vodafone
रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स खत्म करेगी सरकार, जानिए क्या होगा वोडाफोन-केयर्न एनर्जी विवाद पर इसका असर?
रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स खत्म करेगी सरकार, जानिए क्या होगा वोडाफोन-केयर्न एनर्जी विवाद पर इसका असर?
हाईलाइट
  • इस संशोधन के जरिए सरकार रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को खत्म करने जा रही है
  • सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में टैक्सेशन लॉ (संशोधन) विधेयक 2021 पेश किया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में टैक्सेशन लॉ (संशोधन) विधेयक 2021 पेश किया। इसमें केयर्न एनर्जी और यूके के वोडाफोन ग्रुप जैसी कंपनियों के साथ जिस रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को लेकर सरकार का विवाद हुआ था, उसे सरकार खत्म करने जा रही है। इस टैक्स कानून को केयर्न एनर्जी और वोडाफोन टैक्स केस से जोड़कर ही देखा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यही दो वो बड़े मामले थे, जिनकी वजह से सरकार को ऐसा कानून लाना पड़ा था।

फाइनेंस मिनिस्ट्री ने लोकसभा में बताया, इनकम टैक्स एक्ट, 1961 में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया है। इस बिल के पास होने के बाद भविष्य में किसी कंपनी से रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स की डिमांड नहीं की जाएगी। इनकम टैक्स एक्ट में संशोधन के बाद कंपनियों के लिए यह नियम 28 मई 2012 से पहले जैसा हो जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, सरकार ने ये भी प्रस्ताव रखा है कि इन मामलों में जो टैक्स लिया गया है उसे ब्याज सहित वापस किया जाएगा। इस मामले को लेकर केयर्न, वोडाफोन जैसी कंपनियों ने भारतीय और इंटरनेशनल कोर्ट में भारत सरकार के खिलाफ जो केस किया है सरकार के इस कदम के बाद उसे वापस लेने का फैसला कर सकती हैं।

क्या है पूरा मामला?
केयर्न एनर्जी ने 2006 में जब भारत में अपना बिजनेस बढ़ाया तो सरकार की तरफ से कोई टैक्स की मांग नहीं की गई, लेकिन जब वेदांता में उसने अपनी हिस्सेदारी बेची तो टैक्स को लेकर विवाद शुरू हुआ। भारत सरकार ने केयर्न से करोड़ों रुपये का टैक्स मांगा। उसके टैक्स रिफंड और बाकी चीजों पर भी रोक लगा दी। भारत सरकार की इस मांग को कंपनी ने इंटरनेशनल कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने केयर्न के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। इतना ही नहीं कोर्ट ने भारत सरकार को ब्याज सहित फंड लौटाने को भी कहा।

केयर्न की ही तरह जब हच की हिस्सेदारी वोडाफोन को बेची गई थी तो सरकार ने वोडाफोन से करोड़ों रुपये का टैक्स मांगा। 2007 में वोडाफोन ने हच मे 67 फीसदी हिस्सेदारी उस समय 11 अरब डॉलर में खरीदी थी। सरकार ने वोडाफोन से कहा कि उसे कैपिटल गेन और विद होल्डिंग टैक्स के रूप में 7990 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। इसके खिलाफ वोडाफोन बॉम्बे हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोडाफोन पर हिस्सेदारी खरीदने के कारण टैक्स लाएबिलिटी नहीं बनती है। इस फैसले के बाद 2012 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने टैक्स एक्ट में रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को लेकर कुछ संशोधन किए।

बता दें कि रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स वो टैक्स है, जो आयकर विभाग कंपनियों पर लगाता है। इसके जरिए आयकर विभाग कंपनियों से पुरानी डील के भी बकाया की मांग करता है। ये टैक्स उन विदेशी कंपनियों के लिए था, जिन्होंने भारत में निवेश कर रखा है। टैक्स विवाद होने पर सरकारें रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स रूट का सहारा लेती हैं और अपने वर्तमान कानून में संशोधन करती हैं, फिर उसे पुरानी तारीख से लागू कर दिया जाता है। यानी अगर 5 अगस्त 2021 को यह कानून पास किया जाता है तो इसे 5 जुलाई 2021 से भी लागू किया जा सकता है।

Created On :   5 Aug 2021 7:56 PM IST

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