बांग्लादेश में 12 करोड़ टाका कीमत की 617 मीट्रिक टन मछलियों की मौत
- बांग्लादेश में 12 करोड़ टाका कीमत की 617 मीट्रिक टन मछलियों की मौत
ढाका, 4 सितंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश के राजशाही जिले में भीषण गर्मी के कारण ऑक्सीजन की कमी से तालाबों और जलस्रोतों में 12 करोड़ टाका के कीमत की 617 मीट्रिक टन मछलियों के मरने की जानकारी सामने आई है। यह जानकारी जिला मत्स्य अधिकारी ने दी।
राजशाही जिला के मत्स्य अधिकारी अलक कुमार ने आईएएनएस को बताया, यहां मंगलवार को मौसम खराब होने के कारण जिले में करीब 617 मीट्रिक टन मछलियों की मौत हो गई। आसमान में घने बादल छाने के कारण और हवा नहीं चलने के कारण तालाबों और नहरों में ऑक्सीजन की कमी हो गई, जिससे मछलियों की मृत्यु हो गई।
जिला मत्स्य अधिकारी ने कहा कि मछली व्यापारियों को 11.73 करोड़ टाका का नुकसान उठाना पड़ेगा। हालांकि व्यापारियों का कहना है कि नुकसान इससे भी अधिक हुआ है।
मत्स्य पालन करने वाले किसानों ने कहा कि करीब तीन से सात किलोग्राम रुही कातला मछलियों को मात्र 50-90 टाका में बेचा गया। बहुत सारे व्यापारी मरी हुई मछलियां बाजार में नहीं ला पाए, जबकि उनमें से कुछ ने मरी मछलियों को जमीन में दफना दिया।
पाबा उप-जिला के नाओहाटा क्षेत्र के मछली व्यापारी मनीरुल इस्लाम ने कहा, पूरे दिन आसमान में बादल छाए रहने के कारण ऑक्सीजन की कमी होने से मंगलवार रात चार से पांच औंस वजनी मछलियों की मौत हो गई। वहीं बुधवार को हमने थोड़ी कम खराब मछलियां मात्र 50 टाका प्रति किलोग्राम के हिसाब से लोगों को बेंची। हालांकि कुछ बेहतर मछलियां 90 टाका प्रति किलो बेची गईं, लेकिन फिर भी हमें भारी नुकसान उठाना पड़ा।
बागमारा उपजिला के एक गांव कचरी कोवालपारा के एक अन्य मछली व्यापारी अब्दुल माजीद ने कहा, मेरे छह बीघा जमीन में फैले तालाब में ऑक्सीजन की कमी के कारण मरी मछलियों की वजह से मुझे 6 लाख टाका का नुकसान हुआ है। मैंने उन सभी को जमीन में दफना दिया।
मारिया गांव के एक मछली व्यापारी हुजूर अली ने कहा कि 20 बीघा में फैले उनके दो तालाबों में सभी मछलियां मर गईं। उन्होंने कहा, सात किलो कतला मछली और ढाई किलो रुई मछली को बाजार में ले जाया गया, हालांकि वे नहीं बिकी, जिससे मुझे 20 लाख टाका का नुकसान हुआ।
राजशाही डिवीजन के मत्स्य विभाग के उप निदेशक तोफुद्दीन अहमद ने कहा, राजशाही डिवीजन के सभी जिलों से मछलियों की मौत की रिपोर्ट मिली थी। हालांकि, अभी भी सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
एमएनएस-एसकेपी
Created On :   4 Sept 2020 11:00 AM IST