12 सरकारी बैंकों ने 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ किया अर्जित

12 public sector banks earned a net profit of more than 25 thousand crore rupees
12 सरकारी बैंकों ने 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ किया अर्जित
सितंबर तिमाही के नतीजे 12 सरकारी बैंकों ने 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ किया अर्जित
हाईलाइट
  • 12 सरकारी बैंकों ने 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ किया अर्जित

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बढ़ती गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) और कोविड-19 के संकट से जूझने के बाद भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के सुनहरे दिन आने लगे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के सितंबर तिमाही के नतीजे भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के लिए खुशी लेकर आए हैं। इस दौरान सभी प्रमुख 12 बैंकों ने 25,685 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 7 सितंबर को अच्छा प्रदर्शन करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के सभी 12 बैंको की सराहना की।

वित्तमंत्री ने ट्वीट करते हुए कहा कि एनपीए को कम करने और पीएसबी के स्वास्थ्य को और मजबूत करने के लिए हमारी सरकार के निरंतर प्रयास अब ठोस परिणाम दिखा रहे हैं। सभी 12 ने वित्तीय वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में 25,685 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के संयुक्त शुद्ध लाभ में साल-दर-साल 50 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।

इसी तरह चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 12 राज्यों के स्वामित्व वाले बैंकों ने 40,991 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया, जो पिछले साल के मुकाबले 31.6 प्रतिशत अधिक था। देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का लाभ 74 प्रतिशत बढ़कर 13,265 करोड़ रुपये हो गया, जबकि केनरा बैंक का मुनाफा 89 प्रतिशत बढ़कर 2,525 करोड़ रुपये हो गया।

यूको बैंक ने 2022-23 की सितंबर तिमाही में लाभ में 145 प्रतिशत की भारी उछाल के साथ 504 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया, जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा ने 58.70 प्रतिशत के लाभ के साथ 3,312.42 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया। विशेषज्ञों ने कहा है कि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 2022-23 के चालू वित्त वर्ष में पीएसबी के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार होने की उम्मीद है, क्योंकि एनपीए कम हो रहा है और कॉरपोरेट्स का लाभ भी कम हो गया है।

उन्होंने बताया कि 2015 में सरकार द्वारा परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा उपाय पेश किए जाने के बाद बैंकों के एनपीए को विशेष रूप से सामने लाया गया था। बढ़ता एनपीए अब नियंत्रण में प्रतीत होता है। भारतीय बैंकिंग प्रणाली को 2011 में इससे गंभीर खतरे का सामना करना पड़ा था, जब एनपीए बढ़ते-बढ़ते 2017-18 में 11.18 प्रतिशत पर पहुंच गया था।

हालांकि अब एनपीए में कमी आई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह चक्रीय है, क्योंकि यह बढ़ता और गिरता रहता है। पीएसबी को एनपीए की समस्या से निपटने में मदद करने के लिए सरकार ने इन बैंकों को 3 लाख करोड़ रुपये प्रदान किए, जो उन्हें वित्तीय रूप से स्थिरता प्रदाप करने में मददगार साबित हुआ।

इस क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि इस स्थिरता के आधार पर राज्य के स्वामित्व वाले बैंक अब बांड जारी करने और बाहर से धन जुटाने में सक्षम हैं, जो धीरे-धीरे उन्हें वित्तीय रूप से अधिक स्वतंत्र बना रहा है।

सोर्सः आईएएनएस

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Created On :   19 Nov 2022 12:00 PM IST

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