शिवपुरी जिले की पांच सीटों में से तीन पर त्रिकोणीय मुकाबला, चलता है जाति का जादू

  • करेरा एससी के लिए सुरक्षित
  • बीजेपी, कांग्रेस और बसपा में कड़ा मुकाबला
  • सिंधिया परिवार का दबदबा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-02 13:22 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  शिवपुरी जिले में पांच विधानसभा क्षेत्र है, जिनमें करेरा, पोहरी, शिवपुरी, पिछोर, कोलारस शामिल है। शिवपुरी जिले की पांचों विधानसीटों में से तीन पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार है। करैरा, कोलारस और पोहरी विधानसभा क्षेत्रों में बीएसपी के हाथी ने कड़ा मुकाबला कर दिया है। यहां विकासीय मुद्दे कम जातीय मुद्दे अधिक छाए रहते है।

करेरा विधानसभा सीट

करेरा विधानसभा सीट ग्वालियर संभाग के शिवपुरी जिले और गुना लोकसभा क्षेत्र में पड़ती है। यहां बीजेपी, कांग्रेस और बीएसपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होता है। और तीनों ही दलों में कांटे की टक्कर देखने को मिलती है। 2008 के बाद से ये सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। करेरा सीट पर अनुसूचित जाति का वोट सबसे अधिक है। यहां जाटव और खटीक मतदाताओं का दबदबा है, जो जिस दल के पक्ष में हो जाए , जीत भी उसी की होती है। यहां ओबीसी मतदाता भी भारी तादाद में है। जो चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करता है।

कभी बीजेपी का गढ़ रही करेरा विधानसभा सीट पर बीएसपी भी मजबूत स्थिति में है। करैरा विधानसभा में साल 1957 में पहली बार वोटिंग हुई थी और 1957 से लेकर 1967 तक कांग्रेस के गौतम शर्मा करैरा के विधायक बने थे. लेकिन 1967 में तत्कालीन जनसंघ पार्टी की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस उम्मीदवार को हरा उनसे विधायक पद छीना था. 1980 से 1990 के बीच कांग्रेस के हनुमन्त सिंह, इस सीट पर दो बार विधायक चुने गए. तो वहीं 2003 में लाखन सिंह बघेल ने पहली बार बसपा को इस सीट पर जीत दिलाई थी।

2020 उपचुनाव में कांग्रेस के प्रागीलाल जाटव

2018 में कांग्रेस के जसवंत जाटव

2013 में कांग्रेस से शकुंतला खटीक

2008 में बीजेपी के कार्तिक रमेश प्रसाद

2003 में बीएसपी के लाखन सिंह बघेल

1998 में बीजेपी के रणवीर सिंह

1993 में कांग्रेस से किरण सिंह रावत

1990 में बीजेपी के भागवत सिंह यादव

1985 में कांग्रेस के हनुमान सिंह

1980 में कांग्रेस के हनुमान सिंह

1977 में जेएनपी से सुषमा सिंह

शिवपुरी विधानसभा सीट

शिवपुरी विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ है। शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया विधायक है, राजे शिवराज सरकार में खेल मंत्री है। शिवपुरी की सियासत में ग्वालियर के सिंधिया महल का जादू चलता है। महल चलते यहां जाति ज्यादा मायने नहीं रखती।

2018 में बीजेपी की यशोधरा राजे सिँधिया

2013 में बीजेपी की यशोधरा राजे सिंधिया

2008 मेंबीजेपी से माखन लाल राठौर

2003 में बीजेपी की यशोधरा राजे सिंधिया

1998 में बीजेपी की यशोधरा राजे सिंधिया

1993 में निर्दलीय बैजंती वर्मा

1990 में निर्दलीय सुशील बहादुर अस्थाना

1985 में कांग्रेस से गणेश राम

1980 में कांग्रेस से गणेशराम गौतम

1977 में महावीर प्रसाद जैन

पोहरी

पोहरी विधानसभा सीट पर चुनाव में राजनीतिक दल जाति के आधार पर प्रत्याशी उतारती है। सीट पर जनसंघ और बीजेपी का कब्जा रहा है। पोहरी सीट पर धाकड़ और ब्राह्मण समाज का दबदबा है। ब्राह्मण मतदाताओं के पलायन से सीट आदिवासी और पिछड़ा वर्ग बाहुल्य हो गई है। 2020 के उपचुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और बीएसपी के बीच हुआ था।

2020 उपचुनाव में बीजेपी के सुरेंद्र धाकड

2018 में कांग्रेस से सुरेंद्र धाकड

2013 में बीजेपी से प्रहलाद भारती

2008 में बीजेपी से प्रहलाद भारती

पिछोर विधानसभा

पिछोर विधानसभा सीट पर तीन दशक से कांग्रेस के केपी सिहं का कब्जा है। केपी सिंह ने 1993 चुनाव में एंट्री की। तब से सिंह जीतते आ रहे है। पिछोर में छाकड़ समाज के वोटरों की संख्या सब।से अधिक है, उसके बाद जाटव,आदिवासी और कुशवाह वर्ग का मतदाता है। पिछोर सीट पर जीतने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है। बीजेपी नई रणनीति से चुनावी मैदान में उतरने के मूड़ में है।

2018 में कांग्रेस से केपी सिंह

2013 में कांग्रेस से केपी सिंह

2008 में कांग्रेस के केपी सिंह

2003 में कांग्रेस से केपी सिंह

1998 में कांग्रेस से केपी सिंह

1993 में कांग्रेस से केपी सिंह

1990 में बीजेपी के लक्ष्मी नारायण गुप्ता

1985 में कांग्रेस से भाई साहब

1980 में कांग्रेस से भाई साहब

1977 में जेएनपी से कमल सिंह

कोलारस विधानसभा सीट

कोलारस सीट पर बीजेपी कांग्रेस और बीएसपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला नजर आता है। राजनैतिक दल यहां जातीय आधार पर जीतने की फिराक में रहते है। कोलारस में बीएसपी का बढ़ता जनाधार बीजेपी और कांग्रेस की राह को कठिन बना सकता है। यहां आदिवासी और ओबीसी वर्ग के वोटर सर्वाधिक है।

2018 में बीजेपी के वीरेंद्र रघुवंशी

2013 में कांग्रेस से राम सिंह यादव

2008 में बीजेपी से देवेंद्र कुमार जैन

2003 में बीजेपी से ओम प्रकाश खटीक

1998 में कांग्रेस से पूरन सिंह बेदीया

1993 में बीजेपी से ओम प्रकाश खटीक

1990 में बीजेपी से ओम प्रकाश खटीक

1985 में कांग्रेस से पूरन सिंह

1980 में कांग्रेस से पूरन सिंह

1977 में जेएनपी से कामता प्रसाद

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