संस्कारधानी में धन-धर्म और पूजा पाठ के जरिए शुरू हुआ चुनावी वार, जानिए जबलपुर की सीटों का सियासी समीकरण
- मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023
- जबलपुर में आठ विधानसभा सीट
- कौन किस पर रहेगा भारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश की चुनावी राजनीति के सफर में धर्म-धार्मिक चिह्न, मंदिर-मूर्ति, पूजा-पाठ, नदी-नालों के साथ शिक्षा सड़क और स्वास्थ्य के मुद्दे जोर शोर से सुनाई देने वाले है। मध्यप्रदेश में इसकी पहली झलक 12 जून को दिखाई दी। जब कटनी के विजयराघवगढ़ पहाड़ पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने हरिहर तीर्थ योजना की शुरूआत की। दूसरी तरफ संस्कारधानी जबलपुर में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने मध्यप्रदेश की लाइफलाइन कही जाने वाली नर्मदा नदी की पूजा अर्चना की। धार्मिक पूजा पाठ के साथ-साथ प्रदेश की पॉलिटिक्स में अलग अलग नारों की गूंज भी सुनाई देने लगी है। भाजपा अपने नारों वादों में राष्ट्रीय मुद्दों का सहारा ले रही है तो वहीं कांग्रेस बदलाव के नारों का ।
गांधी ने नर्मदा की पूजा कर मध्यप्रदेश में चुनावी शंखनाद किया है। इस दौरान उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ और अन्य कांग्रेस नेता मौजूद थे। प्रियंका के इस दौरे में सॉफ्ट हिंदुत्व के साथ साथ हार्ड हिंदुत्व की झलक देखने को मिली। दौरे के दौरान प्रदर्शन के तौर बजरंगबली की गदा और बजरंगबली की झलक देखी गई। प्रियंका गांधी के 12 जून के जबलपुर दौरे से पहले मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संस्कारधानी से आधी आबादी को साधने वाली महत्वाकांक्षी योजना लाड़नी बहना योजना के तहत करोड़ों महिलाओं के खाते में रूपए वितरित किए।
आपको बता दें मध्यप्रदेश की राजनीति में महाकौशल अहम भूमिका निभाता है। संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर संभाग में आठ जिले आते है। वहीं जबलपुर जिले में आठ विधानसभा सीट आती हैं। जिनके नाम पाटन, बरगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर कैंट, जबलपुर पश्चिम, पानागढ़ और सिहोरा है।
संस्कारधानी जबलपुर के साथ साथ पूरे महाकौशल में बीजेपी कमजोर नजर आ रही है। भाजपा की कमजोरी के चलते यहां आरएसएस की सक्रियता समय समय पर देखने को मिली। क्षेत्र में जो मुद्दा बना हुआ है उसमें सबसे अहम बीजेपी पर तिरस्कार करने का आरोप है। सत्ता में भागीदारी और विकास में अनदेखी का आरोप बीजेपी पर विपक्षियों से ज्यादा चर्चा जनता और सोशल मीडिया पर हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जबलपुर के हिस्से का विकास अन्य शहरों में किया जा रहा है।
2018 के विधानसभा चुनाव में महाकौशल की 38 सीटों में से 13 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, वहीं जबलपुर की 8 विधानसभा सीटों में 4 बीजेपी और 4 कांग्रेस के खाते में आई। चार विधायकों में तरूण भनोत, लखन घनोघोरिया, विनय सक्सेना, संजय यादव शामिल है। इससे पहले कांग्रेस के खाते में दो सीट थी। अब कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ आठों सीटों पर जीतने का दावा कर रहे है। बीजेपी की चिंता इस इलाके में इसलिए और बढ़ गई है क्योंकि महाकौशल में आने वाले सभी नगर निगमों में बीजेपी की हार हुई थी। इन सब बातों से समझा जा सकता है कि महाकौशल और जबलपुर में बीजेपी कमजोर हो रही है और यहां उसकी जमीन खिसकती जा रही है।
मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में पाटन विधानसभा सीट आती है। पाटन सीट महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों में गिनी जाती है, यहां के चुनावी नतीजे हर विधानसभा चुनाव में बदले हुए नजर आते है। कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस की जीत इस सीट का गणित रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के अजय विश्नोई ने कांग्रेस के नीलेश अवस्थी को 26712 वोटों से हराया था। लेकिन इस बार पाटन विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है। कई मौकों पर अजय विष्नोई की बीजेपी से नाराजगी साफ देखी गई। इसका खामियाजा बीजेपी को आगामी चुनावों में उठाना पड़ सकता है।
2018 से पहले के चार विधानसभा चुनावों में बरगी से बीजेपी उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। बरगी सीट बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन 2018 के चुनावों में बरगी विधानसभा सीट से कांग्रेस के संजय यादव ने जीत दर्ज की थी। यादव ने भाजपा प्रत्याशी प्रतिभा सिंह को 17 हजार 563 वोटों से हराया था।
जबलपुर पूर्व विधानसभा सीट से 2018 में कांग्रेस के लखन घनघोरिया ने भाजपा के आंचल सोनकर को 35 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। कांग्रेस की 15 महीने की सरकार में लखन घनघोरिया को मंत्री बनाया गया था।
जबलपुर उत्तर विधानसभा सीट से 2018 में कांग्रेस के विनय कुमार सक्सेना ने भाजपा के शरद जैन को 578 वोटों के मार्जिन से मात दी थी। इस सीट पर कांग्रेस को खतरा है। ये सीट बीजेपी की परपंरागत सीटों में गिनी जाती रही है।
जबलपुर कैंट विधानसभा सीट से 2018 में भाजपा के अशोक रोहानी ने कांग्रेस के आलोक मिश्रा को 26 हजार से अधिक मतों से मात दी थी। यह सीट भी भाजपा की परपंरागत सीटों में शुमार है।
जबलपुर पश्चिम विधानसभा सीट से 2018 में कांग्रेस के तरुण भनोट ने बीजेपी के हरेंद्रजीत सिंह को करीब 19 हजार वोटों से हराया था। इससे पहले 2013 के विधानसभा चुनावों में तरूण भनोत ने हरेंद्रजीत सिंह को 923 के वोटों के अंतर से हराया था।
पानागढ़ विधानसभा सीट से 2018 में बीजेपी के सुशील तिवारी (इंदु) ने भरत सिंह यादव का मात दी। तिवारी ने करीब 71 हजार मतों से हराया। 2003 से अब तक यहां बीजेपी जीतती आई है। उससे पहले कांग्रेस की जीत का सिलसिला जारी था।
सिहोरा विधानसभा सीट से 2018 में बीजेपी से नंदिनी मरावी ने कांग्रेस के खिलदी सिंह को करीब 7 हजार वोटों से हराया था। इससे पहले भी 2013 और 2008 में भी नंदिनी मरावी ने जीत हासिल की थी। 1990 से लेकर 2018 तक सिहोरा सीट पर बीजेपी जीतती आई है।