Beed News: जोरों पर है रावण दहन की तैयारियां, विजयादशमी पर होगी असत्य पर सत्य की जीत
- श्रीराम ने किया था रावण वध
- रावण दहन की तैयारियां हो रही है पूरी
- असत्य पर सत्य की जीत का त्यौहार
Beed News : शनिवार को देशभर में दशहरा मनाया जाएगा। जिले में इस त्यौहार का उत्साह ही अगल है। दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है, जो भारत में एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। इसे असत्य पर सत्य की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार रामायण और देवी दुर्गा की महाकाव्य गाथाओं से जुड़ा हुआ है, जो इसे विशेष महत्व देता है। इसे लेकर माजलगांव, वडवणी, अंबाजोगाई, गेवराई, आष्टी सहित तहसील में रावण दहन की तैयारी पूरी हो चुकी है। जानकारी के अनुसार दशहरा (विजयादशमी) प्राचीनकाल से ही मनाया जा रहा है। परंपरा के अनुसार कालांतर में इसे मनाने के स्वरूप बदलता रहा है। इस दिन का बहुत महत्व माना गया है। 3 अक्टूबर को घटस्थापना के बाद नवरात्रि पर्व की शुरूआत हुई थी। उसी बीच माता के दरबार में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की कतारें लगी हुई दिखाई दीं। उसके बाद माता के दरबार में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम भी संपन्न हुई। 12 अक्टूबर को शनिवार के दिन विजयादशमी (दशहरा) के पर्व पर माता के दरबार में रावण का दहन कर नवरात्रि पर्व का समापन होगा। इसलिए आयोजक से रावण दहन की तैयारियों में जुटे हैं।
दशहरा, भगवान राम की रावण पर जीत का प्रतीक है, जो असत्य और अहंकार का प्रतीक है। दशहरा हमें नैतिकता और मूल्यों की ओर प्रेरित करता है। भगवान राम का जीवन आदर्शों, सत्य और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है। वहीं, इसे देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन माता दुर्गा ने देवताओं के अनुरोध पर महिषासुर का वध किया था, तब इसी दिन विजय उत्सव मनाया गया था। इसी के कारण इसे विजयादशमी कहा जाने लगा। विजया माता का एक नाम है। यह पर्व प्रभु श्रीराम के काल में भी मनाया जाता था और श्रीकृष्ण काल में भी। माता द्वारा महिषासुर का वध करने के बाद से ही असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयादशमी मनाया जाने लगा
श्रीराम ने किया था रावण वध
वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम ने ऋष्यमूक पर्वत पर आश्विन प्रतिपदा से नवमी तक आदिशक्ति की उपासना की थी। इसके बाद भगवान श्रीराम इसी दिन किष्किंधा से लंका के लिए रवाना हुए थे। यह भी कहा जाता है कि रावण वध के कारण दशहरा मनाया जाता है। दशमी को श्रीराम ने रावण का वध किया था। श्रीराम ने रावण का वध करने के पूर्व नीलकंठ को देखा था। नीलकंठ को शिवजी का रूप माना जाता है। अत: दशहरे के दिन इसे देखना बहुत ही शुभ होता है। रावण का वध करने के बाद से ही यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी में मनाया जाता है।