चुनावी घमासान: चुनाव से ठीक पहले बोल उठीं मेडीगड्डा बांध में पड़ीं दरारें...
- 84 हजार करोड़ रुपए की परियोजना में भ्रष्टाचार का आरोप
- कांग्रेस-भाजपा को 40 दिन पहले मिला केसीआर को घेरने का हथियार
मेडीगड्डा (तेलंगाना) से संजय देशमुख : तेलंगाना-महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित 84 हजार करोड़ की लागत वाली मेडीगड्डा सिंचाई परियोजना में हुआ कथित भ्रष्टाचार तेलंगाना के चुनाव में प्रमुख मुद्दा बन चुका है। महाराष्ट्र की सीमा से तेलंगाना राज्य की 14 विधानसभा सीटें हैं। कांग्रेस खासकर इन विधानसभा सीटों पर इस मुद्दे को हथियार बनाकर मतदाताओं के बीच इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है। इस परियोजना में दो राज्यों को जोड़नेवाला एक किलोमीटर लंबा पुल है, जहां इन दिनों किसी के भी आने जाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
केन्द्रीय सुरक्षा बल ने मुख्य सड़क को सील कर दिया है। दुनिया की सबसे बड़ी मल्टी स्टेज लिफ्ट सिंचाई परियोजना के रूप में प्रचारित, कालेश्वरम के तहत मेडीगड्डाबैरेज के छठे से आठवें ब्लॉक के 15 से 20 तक के खंभों में दरारें आ गई हैं। कथित तौर पर परियोजना 21 अक्टूबर की रात को डूब गई थी। गड़चिरोली जिले की सिरोंचा तहसील से परियोजना की दूरी है 14 कि.मी.। नागपुर से यह दूरी करीब 475 कि.मी. है।
केसीआर घिरे, उपलब्धियां बताएं या सफाई दें : तेलंगाना पर दस साल से राज कर रही भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पर कांग्रेस और भाजपा को चुनाव से ठीक चालीस दिन पहले निशाना साधने के लिए भष्ट्राचार का बड़ा मुद्दा मिल गया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में यहां का दौरा किया जिसके बाद बांध परिसर में आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। चुनाव प्रचार को समाप्त होने में अभी छह दिन बचे हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) को अपने कार्यकाल की उपल्बधियों के साथ ही परियोजना से जुड़े आरोपों पर भी सफाई देने की नौबत आन पड़ी है। केसीआर को कांग्रेस और भाजपा के साथ नक्सलियों के भी आरोपों का सामना करना पड़ रहा है।
पुनरुद्धार पूरा होने तक मेडीगड्डा बैरेज बेकार : कांग्रेस ने केसीआर और उनके परिवार पर परियोजना को ‘एटीएम’ के रूप में इस्तेमाल कर एक लाख करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस एटीएम कार्ड के साइज में कार्ड प्रिंट करवाकर लोगों में बांट रही है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने भी कहा है कि अगर भाजपा राज्य में सत्ता में आती है तो भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। इस विवाद में नक्सली भी कूद पड़े हैं। नक्सलियों ने पत्र जारी कर केसीआर और उनके परिवार पर घोटाला कर करोड़ों रुपए कमाने का आरोप लगाया है। उधर राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए) ने तेलंगाना के मेडीगड्डा बैरेज की जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट में बैरेज को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त पाया है। प्राधिकरण ने तेलंगाना सरकार से कहा है कि पुनरुद्धार पूरा होने तक मेडीगड्डा बैरेज बेकार है।
नीचे कोयले का भंडार, भूकंप का खतरा : केसीआर के विरोधी परियोजना के डिजाइन को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं। असल में मेडीड्डा सिंचाई परियोजना भौगोलिक रूप से गोदावरी नदी पर बनी हुई है। भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 2016 से 2022 के दौरान किए गए सर्वेक्षण का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें गोदावरी के बेसिन में 709 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में मिथेन का भंडार होने की जानकारी दी गई है। गोदावरी नदी से सटे चिंतनयेवला से लेकर चंद्रपुर के जीवती, गड़चांदुर और तेलंगाना के कुछ इलाकों में जमीन के नीचे हाल ही में कोयले का भंडार होने की बात भी सामने आयी है। जिस इलाके में बैरेज बनाया गया है वहां का परिसर भूकंप प्रवणक्षेत्र जोन क्रमांक 3 में आता है। इस जोन को मध्यम क्षति जोखिम क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ऐसी स्थिति में निर्माण कार्य को अनुमति कैसे मिली इसे लेकर विशेषज्ञ आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं।
मेडीगड्डा की भेंट चढ़ी महाराष्ट्र की भूमि :परियोजना का उद्घाटन 21 जून 2019 में स्वयं मुख्यमंत्री ने किया था। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस कार्यक्रम में वीआईपी मेहमान थे। मेडीगड्डा सिंचाई परियोजना का निर्माण गड़चिरोली जिले के सिरोंचा तहसील के पास पोचमपल्ली गांव के पास किया गया । इस गांव से छत्तीसगढ़ की सीमा 40 कि.मी. दूर है। इसे बनाने में तीन साल लग गए।1.6 किमी लंबी इस परियोजना में 85 गेट हैं। इसकी जल भंडारण क्षमता 16.17 बिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसी) है। इस परियोजना से 45 लाख एकड़ भूमि को सिंचित करने और तेलंगाना के 70 प्रतिशत हिस्से को पीने का पानी उपलब्ध करवाने का दावा किया गया है। इसके लिए महाराष्ट्र की सीमा में स्थित 373.80 हेक्टेयर भूमि का भी अधिग्रहण किया गया है।
मेडीगड्डा सिंचाई परियोजना लिफ्ट एरिगेशन का देश में पहला गलत उदाहरण देखने को मिल रहा है। तकनीकी विशेषज्ञों ने बांध नहीं बनाने की सलाह दी थी। परियोजना परिसर भविष्य में खतरनाक आपदा में तब्दील हो सकता है। कांग्रेस की ओर से एक लाख करोड़ के भ्रष्टाचार को लेकर गांव-गांव में पोस्टर के माध्यम से जनजागरण किया जा रहा है। - संदेश सिंघलकर, सह प्रभारी तेलंगाना वार रुम ( एआसीसी)
ऐसा कुछ नहीं है। चुनाव में मेडीगड्डा परियोजना में पड़ी दरारें और भ्रष्टाचार होने का कोई मुद्दा नहीं है। बांध बनने के बाद किसानों के खेतों को पानी मिलने लगा है।केसीआर ने पिछले दस वर्ष में लोगों के लिए जनकल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं। - गंडरा वेंकटरामना रेड्डी, विधायक, भूपलपल्ली (मेडीगड्डा परियोजना क्षेत्र के विधायक