बाघों के बढ़ते शिकार से चिंता, मदुमलाई मॉडल से उम्मीद

तमिलनाडु बाघों के बढ़ते शिकार से चिंता, मदुमलाई मॉडल से उम्मीद

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-08 09:30 GMT
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डिजिटल डेस्क, चेन्नई। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1 अप्रैल, 1973 को जब जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया था, तो 9,111 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ देश भर में नौ टाइगर रिजर्व की पहचान की गई थी।

पचास साल बाद अकेले तमिलनाडु में पांच टाइगर रिजर्व हैं - अन्नामलाई, कलक्कड़-मुंडनथुराई, जिसे केएमटीआर के नाम से जाना जाता है, मदुमलाई टाइगर रिजर्व (एमटीआर), सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व और श्रीविल्लिपुत्तूर मेगामलाई टाइगर रिजर्व। इरोड में एक छठे बाघ अभयारण्य बनाने की खबरें हैं, जिसकी पुष्टि अभी तक तमिलनाडु वन विभाग द्वारा नहीं की गई है।

बाघ गणना 2018-19 के अनुसार, तमिलनाडु में बाघों की संख्या उस समय 264 थी, जो देश की कुल बाघ आबादी का लगभग 10 प्रतिशत है। राज्य में बाघों की आबादी 2006 में 76 से बढ़कर 201819 में 264 हो गई है, जो संरक्षणवादियों के अनुसार एक लंबी छलांग है।

वर्ष 2006 में, तमिलनाडु में देश के कुल बाघों 5.3 प्रतिशत थे, और 2018 तक तमिलनाडु में बाघों की आबादी का प्रतिशत 9 प्रतिशत से ज्यादा पहुंच गया।

तमिलनाडु ने बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए एक ऐसी संरक्षण नीति अपनाई जिसमें अग्रिम पहल की गई और स्थानीय लोगों को शामिल किया गया था। अवैध शिकार को रोकने के लिए वन विभाग की नियमित बीट के अलावा मुदुमलाई में 1990 के दशक के अंत में स्थानीय युवाओं की भागीदारी के साथ शिविर लगाए गए।

तमिलनाडु के इस मॉडल को मुदुमलाई मॉडल के रूप में जाना जाता है, जिसे अब दूसरे राज्यों में भी अपनाया गया है। मुदुमलाई में प्रति 100 वर्ग किमी क्षेत्र में 15 बाघों के साथ देश में सबसे अधिक बाघ घनत्व है। राष्ट्रीय बाघ घनत्व प्रति 100 वर्ग किमी 4.4 है।

चिंता की बात यह है कि राज्य में बाघों की बढ़ती आबादी के साथ, अवैध शिकार भी बढ़ गया है। पिछले 10 साल में राज्य ने 70 बाघों को खो दिया है। इससे बाघों की मृत्यु दर के मामले में राज्य देश में छठे स्थान पर पहुंच गया है।

कुख्यात बावरिया अवैध शिकार गिरोह को बाघों के अवैध शिकार के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। तमिलनाडु वन विभाग ने फरवरी 2023 में गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया था।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अनुसार, बाघों की कुल 70 मौतों में से 44 कोर टाइगर रिजर्व क्षेत्रों के अंदर हुई हैं। मौतों के कारणों में प्राकृतिक मौतें, अप्राकृतिक कारक और अवैध शिकार शामिल हैं।

तमिलनाडु के वन विभाग के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, बावरिया गिरोह ने नीलगिरी जिले में एक युवा बाघ को मारने की बात कबूल की है और हम अवैध शिकार पर नजर रखने वालों की नियुक्ति करके और अस्थायी शिविर स्थलों को बढ़ाकर जमीनी गश्त को मजबूत करने की योजना बना रहे हैं ताकि सुदूर स्थानों पर भी गश्ती की जा सके।

वन्यजीव कार्यकतार्ओं ने कहा कि शिकारियों की उपस्थिति के बारे में स्थानीय लोगों द्वारा दी गई जानकारी पर कार्रवाई करने में वन विभाग के अधिकारी सुस्त हैं। हालांकि वन अधिकारियों ने कहा कि शिकारियों के बारे में कोई सटीक सूचना नहीं मिली थी।

इस बीच इरोड वन परिक्षेत्र में छठा टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव है। अधिकारियों के अनुसार, इरोड के जंगलों में 15 से 20 बाघ हैं।

अधिकारियों ने यह भी कहा कि इरोड के जंगलों के आधे हिस्से में बाघ हैं। वन विभाग के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, इरोड वन प्रभाग को तमिलनाडु का छठा टाइगर रिजर्व मानने के लिए भारत सरकार के दिशा-निदेशरें के अनुसार फील्ड वर्क, डेटा संग्रह और सर्वेक्षण किया जाना है।

वन्यजीव जीवविज्ञानी एम. मुनिसामी ने आईएएनएस को बताया, प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्षों में बाघों के संरक्षण और संरक्षण के लिए बहुत कुछ किया गया है। कई राज्यों में बाघों की आबादी कई गुना बढ़ गई है। तमिलनाडु में भी अच्छी खासी आबादी है- यहां 264 बाघ हैं। लेकिन बाघ अभयारण्यों में कुछ अवैध शिकार करने वाले गिरोहों की मौजूदगी चिंता का विषय है और वन विभाग को बाघों की मौत को रोकने के लिए अधिकतम पहल करनी चाहिए।

(आईएएनएस)

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