प्रशिक्षण के लिए आया था जंगली हाथी, प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया
मंडला प्रशिक्षण के लिए आया था जंगली हाथी, प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया
डिजिटल डेस्क, मंडला। बांधवगढ नेशनल पार्क मे आंतक का पर्याय बन चुके हाथी की कान्हा नेशनल पार्क के किसली रेंज में मौत हो गई है। हाथी उग्र होने के कारण क्रॉल में बेडिय़ो से जकड़ कर रखा गया था, जिससे उसे घाव हो गये थे, उपचार के बावजूद सूजन आ आई और हाथी को नही बचाया जा सका है। कान्हा प्रबंधन के द्वारा एनटीसीए प्रोटोकॉल के तहत पीएम कराकर हाथी का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ से हाथियों के दल प्रदेश में प्रवेश कर गये है। यहां बांधवगढ नेशनल पार्क में हाथियों के दल से बिछड़ा 18 वर्षीय हाथी नम्बर 2021 में आंतक मचा रहा था, कई मकान रहवासी इलाके में तोड़ दिये थे, इंसानों पर हमला कर रहा था, जिससे हाथी को प्रशिक्षित करने का फैसला लिया गया। यहां कान्हा नेशलन पार्क 22 नवम्बर को हाथी कैप्चर करने के बाद भेजा गया। किसली रेंज में हाथी के लिए क्रॉल में रखकर प्रशिक्षित किया जा था, लेकिन हाथी काफी उग्र था, जिसके कारण उसके पैर में बेडिय़ा डाल दी गई थी, जिससे हाथी को घाव हो गये। कान्हा प्रबंधन के विशेषज्ञों के द्वारा उपचार किया गया, लेकिन घाव ठीक नही हुये। जिसके बाद आगरा एसओएस के वन्यप्राणी विशेषज्ञ डॉ इलेईया राजा, स्कूल ऑफ फोरेंसिक साइंस एवं विटनरी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ के द्वारा परीक्षण और परामर्श लिया गया। इसके बावजूद हाथी को नही बचाया जा सका। सोमवार को हाथी की मौत हो गई। कान्हा प्रबंधन के द्वारा एनटीसीए प्रोटोकॉल के तहत पीएम कराकर हाथी का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
एक हाथी हो चुका था प्रशिक्षित-
बताया गया है कि छत्तीसगढ से दो हाथी मंडला 2019 में आये थे, जिसमें से एक हाथी की जबलपुर में मौत हो गई थी और दूसरे हाथी को दिसम्बर 2020 को कैप्चर कर कान्हा ले जाया गया था, यहां उसे प्रशिक्षित किया गया। इसके बाद हाथी का उपयोग कान्हा में पेट्रोलिंग किया जा रहा है, इसी के चलते बांधवगढ़ से भी हाथी को कान्हा लाया गया था, लेकिन इस बार सफलता नही मिली है।