‘वॉटर लेट्यूस’ से हजारों मछलियों की मौत
चिंता ‘वॉटर लेट्यूस’ से हजारों मछलियों की मौत
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। इकार्निया वनस्पति के बाद अब गड़चिरोली जिला मुख्यालय के मुख्य तालाब में वाॅटर लेट्यूस नामक वनस्पति ने अपना कब्जा जमा लिया है। इस वनस्पति ने केवल एक सप्ताह में ही समूचे तालाब में अपनी जगह जमा लेने से सूर्यप्रकाश और ऑक्सीजन न मिलने के कारण तालाब की मछलियों की मृत्यु होने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस वनस्पति के कारण वाल्मीकि मछली पालन सहकारी संस्था का तकरीबन 15 लाख रुपए का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
बता दें कि, संस्था के सदस्यों को तालाब में वॉटर लेट्यूस नामक वनस्पति एक सप्ताह पूर्व तालाब में दिखायी दी थी। देखते ही देखते इस वनस्पति ने समूचे तालाब को अपने कब्जे में कर लिया है। संस्था के सदस्यों ने गत जून माह में इस तालाब में रोहु, कतला, ग्रासकार्प समेत अन्य प्रकार की मछलियों के बीज छोड़े थे। वर्तमान में ये मछलियां करीब एक से डेढ़ किलो के आस पास हो गयी हैं। लेकिन तालाब में अचानक वॉटर लेट्यूस वनस्पति उग आने से इन मछलियों की लगातार मृत्यु हो रही है। मछलियों की मृत्यु से संस्था को करीब 15 लाख रुपए का नुकसान होने की जानकारी संस्था के सदस्य और भोई-ढीमर समाज के अध्यक्ष उमाजी गेडाम ने दी है। इस बीच गुरुवार को गड़चिरोली वनवृत्त के वनसंरक्षक डा. किशोर मानकर ने तालाब का जायजा लेकर संस्था के सदस्यों को मार्गदर्शन किया।
जैवविविधता पर बड़ा संकट
वॉटर लेट्यूस नामक वनस्पति वॉटर कैबेज, नाइल कैबेज और शेल फ्लॉवर आदि नामों से पहचानी जाती है। अफ्रिका खंड के जिस विक्टोरिया तालाब से सफेद नाइल नदी बनी है, उसी तालाब में यह वनस्पति पहली बार पायी गयी थी। इस वनस्पति के पत्ते गोभी के पत्ते की तरह होने के कारण इसे नाइल कैबेज भी कहा जाता है। यह वनस्पति कम समय में ही काफी तेजी से बढ़ती है। मीठे पानी में यह अधिक पनपती है। संपूर्ण तालाब में अपनी जगह बनाने से जलचर और अन्य जैवविविधता तीव्र गति से नष्ट हो जाते हंै। यह वनस्पति जल जैवविविधता के िलए एक बड़ा संकट है। उल्लेखनीय है कि, इस वनस्पति के निचले हिस्से में मच्छर अंडे छोड़ते हंै, जिससे यह वनस्पति विभिन्न बीमारियों को आमंत्रण देने वाली भी है। इस वनस्पति को यथाशीघ्र नष्ट करने की आवश्यकता है।