उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विष्णुगढ़-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना की कचरा डंपिंग रोकी

उत्तराखंड उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विष्णुगढ़-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना की कचरा डंपिंग रोकी

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-21 11:00 GMT
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विष्णुगढ़-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना की कचरा डंपिंग रोकी
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को 8-9वीं शताब्दी पुराने लक्ष्मी-नारायण मंदिर के आसपास अलकनंदा नदी पर बने विष्णुगढ़-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना द्वारा चमोली जिले के हाट गांव में किसी भी प्रकार की मलबा डंपिंग पर रोक लगा दी।

संस्कृति मंत्रालय, एएसआई, एमओईएफसीसी, उत्तराखंड राज्य, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संस्कृति निदेशालय, उत्तराखंड को नोटिस जारी करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने जनहित पर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। ग्रामसभा हाट द्वारा 6 दिसंबर के लिए मामला तय करने वाली याचिका (पीआईएल) दायर की गई है।

अदालत ने मलबा डंपिंग की तस्वीरों पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए राज्य के अधिकारियों को फटकार लगाई और कहा कि किसी विशेष परियोजना के लिए भूमि के अधिग्रहण का मतलब यह नहीं है कि वे कहीं भी मलबा डंप करेंगे, किसी क्षेत्र की विरासत और पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाएंगे।

याचिकाकर्ता के वकील आकाश वशिष्ठ ने अदालत को बताया कि टीएचडीसीआईएल द्वारा एएसआई की सिफारिशों की पूरी अवहेलना करते हुए 1000 साल से अधिक पुराने एक विरासत मंदिर को कूड़े के ढेर में तब्दील किया जा रहा है।

वशिष्ठ ने दलील दी, गांव हाट, जिसमें इन मंदिरों का समूह स्थित है और जो स्वयं 1,000 वर्ष पुराना है, में निर्माण और विध्वंस कचरे का निरंतर डंपिंग देखा जा रहा है। एएसआई की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि न केवल कूड़ा डंपिंग को रोकना चाहिए और दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। लेकिन साइट को भी संरक्षित करने की जरूरत है।

हाट ग्राम प्रधान राजेंद्र हटवाल अन्य ग्रामीणों के साथ सुनवाई के दौरान उपस्थित थे। मामले में आकाश वशिष्ठ के साथ अधिवक्ता आनंद सिंह मेर भी पेश हुए।

 

एसजीके/एएनएम

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