कोरोना गाइड लाइन से समझिए कब मरीज को घर पर रहना है और किन स्थितियों में अस्पताल जाना जरूरी!
कोरोना गाइड लाइन से समझिए कब मरीज को घर पर रहना है और किन स्थितियों में अस्पताल जाना जरूरी!
डिजिटल डेस्क | विदिशा अगर हल्के लक्षण हों तो घर पर ऐसे आसोलेशन में रहें, बुखार ज्यादा तेज न हो, हल्के लक्षण हों। फिजिकल डिस्टेंसिंग रखें, घर में मास्क पहनकर रखें, हाथों को साफ करते रहें। सेंप्टोमेटिक मेनेजमेंट पर ध्यान दें। आवश्यक दवाएं जैसे बुखार के लिए, मल्टीविटामिन लें, हाइड्रेट होते रहें। अपने फिजिशियन के सम्पर्क में रहें। शरीर का तापमान-ऑक्सीजन चेक करते रहें। अगर पांच दिन से अधिक समय तक सांस लेने में परेशानी हो रही हो, तेज बुखार हो, सीवियर कफ हो तो तत्काल डाक्टर को दिखाएं।
ऑक्सीजन 93 के नीचे हो, तब ही अस्पताल में जाना जरूरी। जब प्रति मिनट सांस लेने की रफ्तार 24 और ऑक्सीजन का स्तर 90-93 हो। ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जाए। चेस्ट टेस्ट करवाएं। नॉन रिब्रिदिंग फेस मास्क का इस्तेमाल हो। वक्त-वक्त पर ऑक्सीजन थेरेपी दी जाए। जरूरत पड़ने पर लंग्स का एचआरसीटी और अन्य टेस्ट करवाएं। अस्पताल में भर्ती मरीज की हालत गंभीर है, तो उसे रेमडेसिविर दी जाए। घर पर आइसोलेट या अस्पताल में बिना ऑक्सीजन बैड के भर्ती मरीजों को रेमडेसिविर न दी जाए। सांस लेने की दर प्रति मिनट 30 से अधिक हो।
ऑक्सीजन लेवक 90 से कम हो जाए। 60 वर्ष से अधिक के लोग, तनाव, कार्डियोवस्कुलर डिजीज, डायबिटीज, लंग, किडनी, लीवर क बीमारी, सेरेब्रोवस्कुलर डिजीज या मोटापे से ग्रसित गंभीर संक्रिमितों के लिए यह ज्यादा जरूरी है। वेंटिलेटर का इस्तेमाल प्रोटोकाल के तहत किया जाए। मरीज की गंभीर स्थिति में इसका इस्तेमाल हो। रिपोर्ट कोरोना निगेटिव और बाकी सारी जांचें सही पाए जाने पर उसे डिस्चार्ज किया जाए।
कोविड मरीज ऑक्सीजन लेवल मानिटर करते रहें। 93 से कम होने पर हॉस्पिटल जाएं। सभी मरीजों की रेमडेसिविर, प्लाज्मा, इवरमेक्टिन, ब्लड थिनर्स जैसी चीजों की जरूरत नहीं। बैड ऑक्सीजन सिलेण्डर और आइसीयू उन मरीजों के लिए हैं जो कोविड के गंभीर मरीज हैं। वैक्सीन लगवाने पर जोर दें। ज्यादा लोगों का टीकाकरण होगा अस्पताल पर बोझ कम होगा।