महुआ फूलों के संकलन से आदिवासियों को मिला रोजगार

गड़चिरोली महुआ फूलों के संकलन से आदिवासियों को मिला रोजगार

Bhaskar Hindi
Update: 2022-04-07 10:02 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क, कुरखेड़ा (गड़चिरोली)। वनों से घिरे हुए आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले में किसी तरह का उद्योग नहीं होने से यहां बेरोजगारों की फौज बढ़ रही है। स्थानीय आदिवासी ग्रामीण सदियों से वनसंपदा पर निर्भर रहकर दो जून की रोटी कमा रहे हंै। क्षेत्र के अादिवासी केवल बारिश के दौरान खेतों में धान की फसल उगाते हैं, शेष दिनों में जंगलों से विभिन्न प्रकार के वनोपज का संकलन कर गुजर-बसर करते हैं। वर्तमान में अादिवासियों को महुआ फूलों के संकलन से रोजगार प्राप्त हुअा है।

आयुर्वेदिक वनौषधियों में अनन्य साधारण महत्व रखने वालेो महुआ फूलों की बड़े शहरों के बाजार में अच्छी मांग है। 15 दिनों के इस रोजगार से भी अादिवासी नागरिक अपने गुजर-बसर का जुगाड़ कर लेते हैं। बता दें कि, 78 प्रतिशत वनों से व्याप्त गड़चिरोली जिले में महुआ के पेड़ प्रचूर मात्रा में उपलब्ध हैं। आदिवासियों के लिए महुआ के पेड़ किसी वरदान से कम नहीं है। महुआ फूलों के संकलन से रोजगार तो मिलता ही है, फूलों के फलों से भी उन्हें कई प्रकार का रोजगार प्राप्त होता है। फलों को सूखाने के बाद इससे तेल निकाला जाता है। जिसका उपयोग सब्जी-तरकारी बनाने के लिए किया जाता है। आदिवासी परिवार आज भी महुआ फलों (टोरी) के तेल का ही उपयाेग करते हंै। वहीं महुआ पेड़ों के पत्तों से पत्तल बनायी जाती है, जिसे भी बाजार में अच्छी मांग है। वर्तमान में क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीण महुआ फूलों के संकलन मंे व्यस्त होकर इस संकलन के माध्यम से आदिवासियों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। 

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