Rahat Indori Death: दो गज़ सही मगर यह मेरी मिल्कियत तो है... पढ़िए राहत इंदौरी के कुछ बेहतरीन शेर
Rahat Indori Death: दो गज़ सही मगर यह मेरी मिल्कियत तो है... पढ़िए राहत इंदौरी के कुछ बेहतरीन शेर
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मशहूर शायर राहत इंदौरी का मंगलवार को हार्ट अटैक से निधन हो गया है। वह 70 साल के थे। एक दिन पहले ही उन्हें कोरोना से संक्रमित होने के बाद इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उर्दू में किया गया रिसर्च वर्क उर्दू साहित्य की धरोहर है। राहत इंदौरी को मुशायरों में एक खास अंदाज़ में ग़म-ए-जाना (प्रेमिका के लिए) के शेर कहने के जाने जाते थे। पढ़िए राहत इंदौरी के कुछ बेहतरीन शेर..
-दो गज़ सही मगर यह मेरी मिल्कियत तो है
ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया
-शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम
आंधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
-अपनी पहचान मिटाने को कहा जाता है
बस्तियां छोड़ के जाने को कहा जाता है
-रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चांद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है
-जिस दिन से तुम रूठीं
मुझ से रूठे-रूठे हैं
चादर-वादर तकिया-वकिया
बिस्तर-विस्तर सब
-इबादतों की हिफाज़त भी उनके जिम्मे हैं,
जो मस्जिदों में सफारी पहन कर आते हैं
-हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुंह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
-सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है.
-मैं जानता हूं कि दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है
-अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए
-कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है
-कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे