सूखने लगीं जिले की जीवनदायिनी नदियां, फिर गहराने लगा जलसंकट  

गड़चिरोली सूखने लगीं जिले की जीवनदायिनी नदियां, फिर गहराने लगा जलसंकट  

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-09 10:11 GMT
सूखने लगीं जिले की जीवनदायिनी नदियां, फिर गहराने लगा जलसंकट  

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। आने वाले कुछ दिनों में धूलिवंदन का त्योहार मनाया जाएगा। इस त्योहार के पूर्व ही गर्मी की आहट आरंभ हो गई है। नदियों के जिले के रूप में परिचित गड़चिरोली जिले में इस आहट से ही जलस्तर में तेजी से गिरावट आने लगी है। भूमिगत जल के अत्याधिक दोहन के चलते मार्च महीने में ही जीवनदायिनी नदियां सूखने लगी हैं। कई नदियों का पानी पूरी तरह से सूख चुका है। वहीं कुछ में नाममात्र जल है। नदियों के सूखने के कारण गर्मी के दिनों में पूरे जिले में जलसंकट विकराल रूप ले सकता है। जिला मुख्यालय से सटी वैनगंगा नदी की धार इतनी पतली हो गई है कि, लोग निस्तारी के लिए भी इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि, इस वर्ष जिलावासियों को भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ेगा। 

ज्ञात हो कि, इस वर्ष बारिश के मौसम में औसतन से भी कम बारिश दर्ज हुई है। भूजल सर्वेक्षण एवं विकास विभाग ने हाल ही में जिले के सर्वेक्षण की रिपोर्ट साझा की है। रिपोर्ट के अनुसार आगामी अप्रैल से जून माह की कालावधि में जिले के करीब 220 गांवों के नागरिकों को जलसमस्या का सामना करना पड़ सकता है। जिले में बारिश के मौसम में औसतन 1354.78 मि.मी. बारिश दर्ज होती है, लेकिन इस वर्ष जून से सितंबर तक की कालावधि में 1011.33 मि.मी. बारिश ही दर्ज हो पाई है। बारिश का यह प्रमाण औसतन 343.45 मि.मी. कम है। हिसाब लगाया जाए तो बारिश के मौसम में 74.65 प्रतिशत बारिश हुई है। फलस्वरूप जलाशयों में पर्याप्त पानी इकट्‌ठा नहीं हो पाया है। भूजल सर्वेक्षण और विकास यंत्रणा के वरिष्ठ भूवैज्ञानिकों ने जनवरी माह में जिले का सर्वेक्षण किया। करीब 220 गांवों से सटी नदियों का जलस्तर तीव्र गति से कम होने की जानकारी सर्वे के दौरान स्पष्ट हुई है।

सर्वे के मुताबिक मुचलेरा तहसील में भूजल स्तर 0.28 मीटर से बढ़ा है, लेकिन शेष 11 तहसीलों की हालत विपरीत है। इसमें गड़चिरोली तहसील का भूजल स्तर 0.12 मीटर से कम है। वहीं आरमोरी में 0.39, धानोरा में 0.47, देसाईगंज में 0.43, चामोर्शी में 0.38, कोरची में 0.91, अहेरी में 0.38, एटापल्ली में 0.30, भामरागढ़ में 0.51 तथा सिरोंचा तहसील में भूजल का स्तर 0.06 मीटर से कम है। भूजल सर्वेक्षण एवं विकास यंत्रणा ने अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी है। अब जिला प्रशासन द्वारा जलसंकट के लिए अनुमानित गांवों के लिए विशेष उपाय योजना की तैयारी आरंभ की है। बता दें कि, समूचे जिले में कई बड़ी नदियां और नाले बहते हैं। इसमें मुख्यत: वैनगंगा, कठाणी, खोब्रागडी, प्राणहिता, इंद्रावती, गोदावरी, बांडे, पामुलगौतम, गडअहेरी, गाढवी आदि नदियों का सामवेश है। गर्मी की आहट से ही यह नदियां सूखने की कगार पर पहुंच गई हैं। जिससे इस वर्ष जिले में भीषण जलसंकट के आसार मंडराने लगे हैं। 


 

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