नामीबिया से भूखे प्यासे उड़ान भरेंगे चीते, कूनो में आते ही होगी खास दावत, चीतों के भोजन के लिए वन विभाग ने किए हैं खास इंतजाम
दावत का इंतजाम नामीबिया से भूखे प्यासे उड़ान भरेंगे चीते, कूनो में आते ही होगी खास दावत, चीतों के भोजन के लिए वन विभाग ने किए हैं खास इंतजाम
डिजिटल डेस्क,भोपाल। मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 17 सितंबर से 8 चीते चहलकदमी करते नजर आएंगे। मध्यप्रदेश के कूनों में चीतों के आने से पहले ही उनके खाने के इंतजाम की तैयारी पूरी की जा चुकी है। चीतों को नामीबिया से लाने के लिए विशेष विमान को भेजा गया है। जिसमें सभी 8 चीतों को 17 सितंबर को भारत लाया जाएगा। मुख्य वन संरक्षक जेएस चौहान के अनुसार एहतियात के तौर पर यह जरूरी है कि यात्रा के दौरान जानवर को खाली पेट रखा जाए। उनका कहना है कि लंबी यात्रा के दौरान जानवरों को मतली जैसी समस्या देखने को मिल सकती है। शायद यही वजह है कि चीतों को खाली पेट ही लाया जा रहा है।
लेकिन चीतों के आने के पहले ही वन विभाग की टीम ने उनके भोजन की व्यवस्था पूरी कर ली है। वन विभाग ने 181 चीतल कूनो नेशनल पार्क में छोड़े हैं। ये सभी चीतल राजगढ़ जिले के चिड़ीखो अभ्यारण से लाए गए हैं।
बताया जा रहा है कि चीतों का पसंदीदा शिकार चीतल को ही माना जाता है। चिड़ीखो अभयारण्य में चीतल और हिरणों की संख्या बहुत ज्यादा है। इस कारण यहां से 181 चीतल कूनो लाए गए हैं। 16 जून को कूनो नेशनल पार्क आए दक्षिण आफ्रीका और नामीबिया के अधिकारियों ने यहां पर चीतलों की संख्या बढ़ाए जाने का सुझाब दिया था।
बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन के दिन 17 सितंबर को नामीबिया से लाए जा रहे चीतों को पिंजरे से आजाद करेंगे। जिसके बाद यह चीतों को यहां आने वाले पर्यटक देख सकेंगे। वन विभाग यह मान कर चल रहा है कि कूनो में चीतों के आने के बाद से ही पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। इसी वजह से स्थानीय प्रशासन ने 50 आदिवासियों के घरों को ग्रामीण होम स्टे बनाने का निर्णय लिया है। वहीं पर्यटकों को यहां चीतों का साथ-साथ जंगल,नदी,झरनों और ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी देने के लिए 30 आदिवासी महिलाओं को टूरिस्ट गाइड बनाया गया है।
भारत से विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से संरक्षित करने का यह सरकार का पहला कदम है । नामीबिया से चीतों को चीता प्रोजेक्ट के तहत लाया जा रहा है।