चंदेलकालीन तालाबों का अस्तित्व खतरे में
ककहरटी चंदेलकालीन तालाबों का अस्तित्व खतरे में
डिजिटल डेस्क ककहरटी नि.प्र.। ककरहटी नगर में निर्मित चन्देलकालीन तालाब अब अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। वहीं प्राचीन स्थल जिनमें हनुमानगढ़ी खण्डहर में तब्दील होते जा रहे हैं। भारी भरकम चट्टानों से निर्मित चन्देलकालीन तालाब जो नगर की शोभा के साथ- साथ निर्मल जल के स्त्रोत थे। इन तालाबों की देखरेख एवं जीर्णोद्धार में स्थानीय प्रशासन एवं जिला प्रशासन द्वारा उदासीनता बरती गई जिसके चलते अब यह धीरे-धीरे समाप्ति की ओर अग्रसर है। समुचित देखरेख के अभाव में इन तालाबों की पार लगे विशालकाय पत्थर यहां-वहां बिखरे पडे है और घाटों की स्थिति काफी दयनीय है। परिणामरूवरूप जो तालाब सारे वर्ष स्वच्छ जल से लबालब भरे रहते थे आज उन तालाबों में थोडा बहुत ही पानी है। वहीं बडी देविन तालाब जहाँ मां कालका देवी विराजमान हैं। इसके अलावा यह स्थान सैकड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र है आज उसी मन्दिर के सामने बना चन्देलकालीन तालाब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। यदि समय रहते प्रशासन द्वारा इन प्राचीन तालाबों और धरोहरों की सुध नहीं ली गई तो यह पूर्णत समाप्त हो जायेंगे। जिससे आने वाली पीढी को शायद ही यह देखने को मिल पायें।