शिक्षकों ने कूड़ा इकट्ठा करने और रामायण पाठ करने के आदेश पर व्यक्त की नाराजगी

उत्तरप्रदेश शिक्षकों ने कूड़ा इकट्ठा करने और रामायण पाठ करने के आदेश पर व्यक्त की नाराजगी

Bhaskar Hindi
Update: 2021-10-22 08:31 GMT
शिक्षकों ने कूड़ा इकट्ठा करने और रामायण पाठ करने के आदेश पर व्यक्त की नाराजगी

 डिजिटल डेस्क, फिरोजाबाद । उत्तर प्रदेश के दो जिलों में 20 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती पर शिक्षकों को सौंपे गए कार्यों को लेकर व्यापक आक्रोश है। बेसिक शिक्षा अधिकारी फिरोजाबाद अंजलि अग्रवाल ने खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्राथमिक विद्यालयों से प्लास्टिक कचरे का संग्रह सुनिश्चित करने के लिए कहा था।

जिले के सभी ब्लॉक में स्कूलों को 100 किलो प्लास्टिक कचरा इक्ठ्ठा करने और एक नामित पंचायत भवन में जमा करने के लिए कहा गया था। उसी दिन सलाई के संकट मोचन धाम में वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कासगंज जिले के 15 प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को वाल्मीकि रामायण के छंद पाठ के लिए कहा गया था।

एटा में एक शिक्षक ने कहा, वाल्मीकि रामायण संस्कृत में है और मैं एक विज्ञान का शिक्षक हूं। मैंने संस्कृत पढ़ने की पूरी कोशिश की, लेकिन यह मेरे लिए बहुत कठिन था। कार्यक्रम स्थल पर चार में से केवल तीन लोग मौजूद थे। मुझे इस तरह के आदेश जारी करने का उद्देश्य समझ में नहीं आता है। विभिन्न शिक्षक संगठनों ने इस मुद्दे पर अपना असंतोष व्यक्त किया और सोशल मीडिया पर उन अधिकारियों की आलोचना की जिन्होंने शिक्षकों को उक्त कार्यों को करने का आदेश दिया था।

उत्तर प्रदेश शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा, अगर किसी धार्मिक स्थल पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करने और शास्त्रों को पढ़ने के लिए शिक्षक को जिम्मेदारी दी जाती है, तो उसे छात्रों को पढ़ाने का अपना कर्तव्य निभाने का समय कब मिलेगा?

स्कूल शिक्षा महानिदेशक, अनामिका सिंह ने कहा, मुझे प्लास्टिक कचरे के संग्रह के संबंध में जारी आदेशों के बारे में पता चला है और घटना के बारे में अधिक जानकारी मांगी है। रामायण मुद्दे के बारे में उन्होंने कहा कि वह इस मामले को देखेंगी। राज्य के बुनियादी शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा, मुख्य विकास अधिकारी सहित जिला प्राधिकरण ये आदेश जारी करते हैं। जिन्हें बीएसए द्वारा लागू किया जाता है। जिला अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए कि वे इसके लिए विभागों को निर्दिष्ट किए बिना ऐसे आदेश क्यों जारी करते हैं।

 

(आईएएनएस)

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