मनपा सत्तापक्ष और आयुक्त तुकाराम मुंढे के बीच तनातनी , गलतियों की बन रही लिस्ट
मनपा सत्तापक्ष और आयुक्त तुकाराम मुंढे के बीच तनातनी , गलतियों की बन रही लिस्ट
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनपा सत्तापक्ष और आयुक्त तुकाराम मुंढे के बीच की तनातनी इस हद तक पहुंच गई है कि अब सत्तापक्ष ने आयुक्त मुंढे की गुस्ताखियां गिनने की शुरुआत कर दी है। वह ऐसी गुस्ताखियों की सूची बना रहा है, जो आयुक्त ने नियमों के विपरीत किया है या फिर मर्यादाओं का उल्लंघन हुआ है। सत्तापक्ष नेता संदीप जाधव और वरिष्ठ नगरसेवक दयाशंकर तिवारी ने सीधे आरोप लगाया है कि आयुक्त अनावश्यक रूप से परेशान करने के लिए गलत बर्ताव कर रहे हैं। आयुक्त को नियम और कानून के विपरीत काम करने का अधिकार नहीं है। आयुक्त नियमों के विपरीत जाकर क्या-क्या काम कर रहे हैं, इसकी बाकायदा सूची बना रहे हैं। अगर कोई नियमों का उल्लंघन कर रहा है, तो उसे दूसरों के नियम बताने या बोलने का अधिकार नहीं है।
दुर्बल घटक समिति का पैसा रोका
संदीप जाधव, दयाशंकर तिवारी ने बताया कि दुर्बल घटक समिति को बजट की 5 प्रतिशत निधि मिलती है। इस निधि से दलित और पिछड़े इलाकों में सीवरेज, सड़क, बिजली आदि बुनियादी काम किए जाते हैं। इन कामों को रोकने का किसी को अधिकार नहीं है। यह फिक्स प्राथमिकता में आते हैं, लेकिन आयुक्त मुंढे ने दुर्बल घटक निधि के कामों को रोक दिया है। इस निधि से दलित और पिछड़ों की बस्ती में काम किए जाते हैं। जिन कामों के कार्यादेश दिए गए थे, उन कामों को भी रोक दिया गया है। दुर्बल घटक समिति को 56 करोड़ की निधि मिली थी। संपूर्ण निधि के काम मंजूर किए गए थे, लेकिन 27 जनवरी के बाद करीब 30 करोड़ रुपए के काम रोके गए हैं। दयाशंकर तिवारी ने कहा कि दुर्बल घटक को प्रताड़ित करने के खिलाफ जो भी कानून (एट्रोसिटी एक्ट) है, उस अनुसार कार्रवाई करने के लिए सत्तापक्ष द्वारा प्रयास किया जाएगा।
आदेश के बावजूद शुरू नहीं हुए काम
मनपा सभागृह में महापौर संदीप जोशी ने जिन कार्यों पर रोक लगाई थी, उन सभी कामों को तुरंत शुरू करने के आदेश दिए थे। 15 दिन बाद भी जब काम शुरू नहीं हुए, तो महापौर ने आयुक्त को नोटशीट भेजकर जवाब मांगा था। नोटशीट का जवाब देते हुए आयुक्त मुंढे ने एक बार फिर आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए नए काम शुरू करने से मना कर िदया है। उन्होंने अपने जवाब में लिखा कि मनपा की आर्थिक स्थिति सक्षम नहीं है। उसकी समीक्षा जारी है। पर्याप्त निधि नहीं है। बजट के प्रावधान अनुसार वसूली नहीं हुई है। नए कार्यादेश संभव नहीं हैं। इसलिए नए काम शुरू करना या उसे बढ़ाना योग्य नहीं है। आयुक्त के इस जवाब पर सत्तापक्ष ने आपत्ति जताई है। तिवारी ने आरोप लगाया कि उनका जवाब संभ्रम पैदा करने वाला है। वे एक अच्छे व्यक्ति को रखें, जो बता सके कि जो पूछा गया है सिर्फ उसका जवाब दें।
मोना ठाकुर को वापस भेजने से इनकार
मोना ठाकुर पहले मनपा में वित्त व लेखा अधिकारी रह चुकी हैं। नियमानुसार कोई अधिकारी किसी पद पर रहा है, तो दोबारा उसकी उसी पद पर नियुक्ति नहीं की जा सकती है। नियमों का आधार लेकर पिछले दिनों मनपा सभागृह ने मोना ठाकुर को वापस भेजने का प्रस्ताव पारित किया गया था, लेकिन आयुक्त ने सरकार को पत्र भेजकर मोना ठाकुर को बरकरार रखने की सिफारिश की थी। महापौर ने इस बारे में आयुक्त को नोटशीट भेजकर जवाब मांगा। जवाब में आयुक्त ने कहा कि मनपा में कैफो का पद रिक्त है। मोना ठाकुर के पास अतिरिक्त प्रभार है। बजट का काम शुरू है। जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाती, उनका बने रहना जरूरी है। दयाशंकर ितवारी ने कहा कि आयुक्त अपनी संवैधानिक कर्तव्य को नजरअंदाज कर रहे हैं। नियमों के विपरीत बर्ताव कर रहे हैं। क्या जो ऑडिटर है, वह अपनी गलतियों की जांच कर पाएगा।
झलके का प्रस्ताव भेजने से इनकार
शुक्रवार को विजय (पिंटू) झलके मनपा स्थायी समिति के नए सभापति चुने गए। नियमानुसार जो सभापति बनता है, वह नासुप्र ट्रस्टी होता है। इसके लिए मनपा आयुक्त की ओर से नासुप्र को पत्र भेजकर सूचित करना है। इस संबंध में स्थायी समिति सभापति चुनाव के बाद सत्तापक्ष ने आयुक्त को नोटशीट भेजकर नासुप्र को नए ट्रस्टी के बारे में पत्र भेजने का आग्रह किया, लेकिन आयुक्त ने इससे भी इनकार कर दिया। आयुक्त ने कहा कि जब तक राज्य सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी नहीं होता, वे नासुप्र को प्रस्ताव नहीं भेजेंगे। दयाशंकर तिवारी ने कहा कि नासुप्र पूरी तरह से बर्खास्त होने तक मनपा का प्रतिनिधित्व वहां होना जरूरी है। इसके लिए सभापति को ट्रस्टी बनाकर भेजा जाता है। यह नियमों में है। कौन-कौन ट्रस्टी होगा, यह स्पष्ट है। उसे कोई रोक नहीं सकता। आयुक्त अनावश्यक परेशान करने के लिए गलत बर्ताव कर रहे हैं।