गड़चिरोली में खुली राज्य की पहली आदिवासी पारंपरिक स्वायत्त बैंक

विकास गड़चिरोली में खुली राज्य की पहली आदिवासी पारंपरिक स्वायत्त बैंक

Bhaskar Hindi
Update: 2022-01-06 04:42 GMT
गड़चिरोली में खुली राज्य की पहली आदिवासी पारंपरिक स्वायत्त बैंक

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली।  सरकार ने पेसा कानून का गठन कर ग्रामसभाओं को वन हक के अधिकार प्रदान किए हैं। इन अधिकारों का लाभ उठाते हुए जिले की ग्रामसभाएं विकास के पथ पर दौड़ रहीं है। इसी कड़ी में अब धानोरा तहसील की मोहगांव की ग्रामसभा भी जुड़ गयी है। इस ग्रामसभा में राज्य समेत गड़चिरोली की पहली आदिवासी पारंपरिक स्वायत्त बैंक आरंभ करने का अभूतपूर्व कदम उठाया है। इस बैंक के माध्यम से ग्रामसभा के तहत समाविष्ट गांवों को समृद्ध  बनाने का लक्ष्य निर्धारित िकया गया है। मंगलवार को इस बैंक का ग्रामसभा प्रतिनिधियों ने विधिवत शुभारंभ किया। बता दें कि, गड़चिरोली जिले में पेसा कानून के तहत गांवों की संख्या 1 हजार 235 होकर वनहक प्राप्त ग्रामसभाओं की संख्या 1 हजार 428 है। धानोरा तहसील की लेखा(मेंढा) एक ऐसी ग्रामसभा है, जो वनहक प्राप्त करने वाली देश की पहली ग्रामसभा बनी। इसी ग्रामसभा के पथ पर चलते हुए अब जिले की अन्य ग्रामसभाएं भी आत्मनिर्भर बन रहीं हंै। धानोरा तहसील के नक्सलग्रस्त पेंढरी गांव से 10 किमी दूरी पर मोहगांव बसा हुआ है। इस गांव में संयुक्त गांव गणराज्य ग्रामसभा परिषद का गठन किया गया है। इस ग्रामसभा को भी वनों के सारे अधिकार प्रदान किए गए हंै। ग्रामसभा द्वारा अब तक पृथक रूप से तेंदूपत्ता संकलन के साथ बांस कटाई का कार्य किया जा रहा है।

साथ ही वनोपज संकलन के कार्य से भी ग्रामसभा के तहत समाविष्ट लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। विभिन्न प्रकार के रोजगार से प्राप्त राजस्व (निधि) को अब तक धानोरा तहसील मुख्यालय की बैंक मंे जमा किया जाता था। लेकिन मोहगांव से धानोरा की दूरी काफी अधिक होने के कारण समय पर राशि न मिलने से महत्वपूर्ण कार्य प्रलंबित होते थे। इसी गंभीर समस्या का निवारण करने के लिए ग्रामसभा ने गांव में ही एक सहकारी पतसंस्था (बैंक) आरंभ करने का फैसला लिया। फैसले के तहत ग्रामसभा के पदाधिकारी व ग्रामीणों ने बैठकों का आयोजन किया। तय नीति के तहत मंगलवार को यह बैंक विधिवत आरंभ कर दी गयी। उल्लेखनीय यह है कि, माेहगांव की यह आदिवासी पारंपरिक स्वायत्त बैंक प्रदेश की पहली बैंक कही जा सकती है। इस तरह की बैंक गड़चिरोली में भी पहली बैंक है। ग्रामसभा के अनुसार, गांव के सुशिक्षित बेरोजगार ही इस बैंक का संचालन करेंगे। ग्रामसभा की निधि के साथ ग्रामीणों की जमापूंजी भी इस बैंक में जमा की जा सकती है। पैसे निकालने और बैंक में भरने के लिए हो रही जद्दोजहद को कम करने इस तरह की बैंक आरंभ की गयी है। बैंक के उद्घानटनीय कार्यक्रम में पूर्व विधायक हीरामन वरखडे, गड़चिरोली कृउबास के प्रशासक चंद्रशेखर भडांगे, मोहगांव के गांव भूमिया गांडोजी आतला, कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक संदीप कराडे, ग्रासमभा प्रतिनिधि बाजीराव उसेंडी, कोतुराम पोटावी, रतन उसेंडी, शंभरकर, दिनेश पानसे, नन्नावरे, वर्षा वरखेडे, फुलाबाई कुमरे, कल्पना उईके, रुक्मिनी भलावी, बाबूराव गेडाम, देवसाय आतला, मनिराम आतला, बावसू पावे आदि उपस्थित थे। 

अब तक हुए अनेक विकास कार्य
मोहगांव की संयुक्त गांव गणराज्य ग्रामसभा परिषद के माध्यम से गांव में अब तक अनेक तरह के विकास कार्य किए गए हैं, जिसमें प्रमुखता से गांव के लिए गोदाम का निर्माण किया गया है। गोंडी भाषा की पहली शाला यहां आरंभ की गयी। साथ ही गांव में चल रही पानी की किल्लत को दूर करने यहां जलापूर्ति योजना भी क्रियान्वित की गयी है। अब गांव को समृद्ध बनाने के लिए पहली बैंक भी आरंभ हुई है। लगातार हो रहे विकास कार्यों के कारण मोहगांव की ग्रामसभा एक मॉडेल ग्रामसभा के रूप में भी अब देखी जा रही है।
 

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