नप की अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई के बाद संकट में दुकानदार
रोष नप की अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई के बाद संकट में दुकानदार
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। जिला मुख्यालय के राष्ट्रीय महामार्ग से सटकर बेरोजगारों द्वारा लगायी गयी दुकानों को हटाने की मुहिम नगर परिषद प्रशासन ने आरंभ की है। इस मुहिम के चलते बेरोजगारों पर भुखमरी की नौबत आन पड़ी है। पिछले पंद्रह दिनों से शहर के फुटपाथ की दुकानें पूरी तरह बंद होने के कारण दुकान धारक अब अपने परिवार के गुजर-बसर को लेकर चिंता में आ गये हैं। नप प्रशासन द्वारा अब तक दूकान धारकों के लिए किसी तरह की कोई वैकल्पिक जगह उपलब्ध नहीं कराई गयी। फलस्वरूप अब दूकान धारक ठेलों पर दुकानें शुरू करने के प्रयास में हैं। मात्र इन दुकानों की अनुमति भी नामंजूर करने से दुकान धारकों में रोष व्यक्त किया जा रहा है।
यहां बता दें कि, गड़चिरोली जिला नक्सलग्रस्त होकर यहां किसी तरह का कोई बड़ा उद्योग नहीं है। इसी कारण शहर के लगभग 500 से अधिक सुशिक्षित बेरोजगारों ने राष्ट्रीय महामार्ग से सटकर विभिन्न प्रकार की दुकानें शुरू की थी। इन्हीं दुकानों के जरीए यह बेरोजगार अपने परिवार का जीवनयापन करते आ रहे हंै। इन दुकानों में चाय टपरी, नाश्ता ठेला, पानठेला, फलों की दूकान, अंडे की दुकानों समेत ज्यूस और अन्य प्रकार की दुकानों का समावेश है। शहर के इंदिरा गांधी चौक में इस तरह की दुकानें बड़ी संख्या में मौजूद हैं। मात्र नगर परिषद प्रशासन ने राष्ट्रीय महामार्ग से सटकर सर्विस रोड निर्माण करने के लिए इन दुकानों को हटाने की मुहिम आरंभ की है। पिछले पंद्रह दिनों से शहर में यह मुहिम लगातार जारी है।
नोटिस देने के बाद भी जब संबंधितों ने अपनी दुकानों को नहीं हटाया तो नप प्रशासन ने जेसीबी और पुलिस सुरक्षा का उपयोग कर दुकानों को हटाया। मुहिम की तीव्रता को देख कुछ दुकान धारकों ने अपनी दूकानों को स्वयं हटाया। इस बीच बेरोजगारों की मदद के लिए शेतकरी कामगार पक्ष के पदाधिकारी मैदान में उतरे। करीब 2 बार नगर परिषद कार्यालय पर मोर्चा निकाला गया। मात्र दोनों आंदोलन बेनतीजा साबित हुए। मुख्याधिकारी विशाल वाघ ने दुकानों को हटाने के साथ साथ दुकान धारकों के लिए वैकल्पिक जगह उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था। मात्र पंद्रह दिनों से इस तरह की जगह उपलब्ध नहीं होने से अब संबंधित अतिक्रमित दूकान धारक और उनके परिजनों पर भुखमरी की नौबत आन पड़ी है। अतिक्रमण धारकों की इस समस्या का जल्द निवारण करने की आवश्यकता महसूस हो रही है।