रिजेक्ट कोयले का खेल, महाजेनको हुआ बदहाल
गोरखधंधा रिजेक्ट कोयले का खेल, महाजेनको हुआ बदहाल
डिजिटल डेस्क,चंद्रपुर। वेकोलि के चंद्रपुर एवं यवतमाल जिले के वर्धा वैली के वणी एवं वणी उत्तर क्षेत्र साथ ही बल्लारपुर में चारों ओर ब्लैक डायमंड का असीमित भंडार भरा हुआ है, जिसके चलते काला सोना अर्थात कोयले पर कोल व्यापारियों और कोल माफिया भी नजर गड़ी ही रहती है। चंद्रपुर जिले के घुग्गुस, बल्लारपुर, सास्ती एवं वणी में स्थित कोल वाशरी में कोयले को वॉश करने के बाद वणी, राजुरा एवं घुग्गुस की साइडिंग से महाजेनको को पहुंचाने का काम पिछले 8-9 माह से किया जा रहा है। लेकिन इसकी आड़ में कम्पनी के नुमाइंदे कोयले में मिलावट करने के बाद पॉवर प्लांट पहुंचा रहे हैं, जबकि अच्छे ग्रेड का कोयला रोजाना राज्य के विभिन्न हिस्सों में भेज दिया जाता है, इतना ही नहीं तो वणी मंडी, नागाला प्लॉट व कम्पनियों का कई वर्ष से पड़ा बैड मटेरियल घटिया कोयले को यहां पर बुलाया जाता है और फिर मिश्रित कर महाजेनको के लिए रवाना किया जाता। महाजेनको को धुला हुआ कोयला देने का काम राज्य सरकार की ओर से आर्यन कोल बेनिफिसिरी इंडिया लिमिटेड को दिया गया है। ताकि बिजली का उत्पादन बढ़े एवं कोयले की गुणवत्ता बनी रहे।
सरकार को हो रहा करोड़ों का नुकसान
एक ओर सरकारी बिजली कंपनी कोयला के ग्रेड को उन्नत करने पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है तो दूसरी ओर वेकोलि एवं महाजनको के उच्चाधिकारी वॉश कोल के नाम पर घटिया कोयला िबजली घरों में पहुंचाकर सरकार को प्रतिदिन कई करोड़ का नुकसान पहुंचाने में लगे हुए हंै। कुछ कोल वॉशरी तो कई दिनों से बंद हैं वहां सिर्फ कोयला स्टॉक किया जा रहा। अच्छे ग्रेड का खुले बाजार में 8 से 9 हजार रुपए टन बेचकर साइडिंग पर भेजने हेतु चारफाइन मिला 3 हजार रुपए टन कोयला महाजेनको को भेजा जा रहा है। अप्रैल से िसतंबर तक बल्लारपुर क्षेत्र की पवनी 2 एवं सास्ती खदान से करीब 22 लाख टन कोयला वॉशरी में जा चुका है। वॉशरीज से ज्यादातर कोयला खुले बाजार में डालमिया कंपनी एवं वर्धा के प्लांटों पर जा रहा है। चंद्रपुर एवं यवतमाल जिले में महाजनको, एमएसएमसी एवं वेकोलि के अधिकारी कोल वॉशरीज के साथ मिलकर कोयले का ऐसा रोचक खेल खेल रहे हैं जो कि यकीनन कौतूहल का विषय है। वैसे काले सोने के खेल में करोड़ों के वारे न्यारे हो रहे हंै। दरअसल इस खेल की पोलपट्टी खोलने जो भी सामने आता है उसकी आवाज दबा दी जाती है। राज्य के एक बड़े कांग्रेसी नेता ने भी कुछ माह पेहले इसके खिलाफ आवाज उठाई थी, लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते मंे चला गया।